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घेत्तुं (गृहीतुम् ) = ग्रहण करने के लिए वोत्तुं (वक्तुम् ) = बोलने के लिए रोत्तुं (रोदितुम् ) = रोने के लिए भोत्तुं (भोक्तुम्) खाने के लिए बोद्धुं (बोद्धुम् ) = जानने के लिए
उपयोगी अनियमित हेत्वर्थ कृदन्त
सम्बन्धक भूतकृदन्त
2. धातु के अंग को तुं, उं, अ, तूण, ऊण, तुआण, उआण प्रत्यय लगाने पर सम्बन्धक भूतकृदन्त बनता है, ये प्रत्यय लगाने पर पूर्व अ का इ अथवा ए होता है । आर्ष में त्ता, त्ताणं, त्तु और इय प्रत्यय भी लगते हैं उदा. हस + तुं = हसितुं, हसेतुं झाअ + अ = झाइअ, झाएअ झाअ + तूण = झाइतूण, झाएतूण झाअ + ऊण = झाइऊण, झाएऊण झाअ + तुआण = झाइतुआण, झाएतुआण
हस + उं हसिउं, हसेउं
=
हस + अ = हसिअ, हसेअ हस + तूण = हसितूण, हसेतूण हस + ऊण = हसिऊण, हसेऊण हस + तुआण = हसितुआण,
झाअ + उआण = झाइउआण, झाएउआण
हसेतुआण
हस + उआण = हसिउआण, हसेउआण
=
हस + त्ता हसित्ता, हसेत्ता हस + त्ताणं हसित्ताणं, हस + त्तु = हसितु, हसेत्तु हस + इ = हसिय
(हसित्वा) = हँसकर
-
"
हत्ताणं
मोत्तुं (मोक्तुम्) = छूटने के लिए दडुं (द्रष्टुम् ) = देखने के लिए काउं
क) (कर्तुम् = करने के लिए
झाअ + त्ता = झाइत्ता, झाएता झाअ + ताण = झाइत्ताणं, झाएत्ताणं झाअ + त्तु = झाइतु, झाएतु झाअ + इय = झाइय ( ध्यात्वा ) ध्यान करके
झा = झातुं, झाउं, झाअ, झातूण, झाऊण, झातुआण, झाउआण, झाइअ ( ध्यात्वा) = ध्यान करके
झाअ + तुं = झाइतुं, झाएतुं झाअ + उं = झाइउं,
झाएउं
अनियमित सम्बन्धक भूतकृदन्त
घेत्तूण घेत्तु आण, (गृहीत्वा) ग्रहण करके
वोत्तूण, वोत्तु आण ( उक्त्वा) = कहकर कट्टु
दट्ठूण, दट्टुआण (दृष्ट्वा) = देखकर काऊण काउआण (कृत्वा) = करके
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