________________
शब्दार्थ (पुंलिंग) अकाल (अकाल) = अकाल , समय बिना | मारुअ (मारुत) = पवन, वायु आणाल (आलान) = बंधन, हाथी को राहु (राहु) = राहु ग्रह बाँधने का खूटा
| विउस (विद्वस्) = विद्वान् उवयार (उपकार) = उपकार, आदर, विहि (विधि) = प्रकार, भाग्य , कर्तव्य, सेवा
आज्ञा नायमग्ग (न्यायमार्ग) = नीति, मार्ग सज्झाय (स्वाध्याय) = शास्त्रपठन, नीसंद (नि:ष्यन्द) = रस का झरना, आवृत्ति करना गलना
समणोवासग-य (श्रमणोपासक) पओग (प्रयोग) = प्रयोग, साधन I= श्रावक, साधु का उपासक परिसर (परिसर) = समीप सुअ (सुत) = पुत्र भुयग (मुजग) = साँप, सर्प
(नपुंसकलिंग) गुंजिअ (गुञ्जित) = गुनगुनाहट | भद्द । (भद्र) = कल्याण, सुख, चिंध । (चिह्न) = चिह्न, लंछन, भद्र चिण्ह निशानी
मउण) (मौन) = मौन जंत (यन्त्र) = यन्त्र, मशीन |मोण दुआर ) (द्वार) = दरवाजा मसाण । (श्मशान) = श्मशानभूमि दार
सुसाण
| वसण (व्यसन) कष्ट, दुःख नहयल (नभस्तल) आकाशतल सुरहि (सुरभि) सुगन्ध
(पुंलिंग + नपुंसकलिंग) रुक्ख (वृक्ष) वृक्ष, पेड़
(स्त्रीलिंग) अउज्झा (अयोध्या) = एक नगरी का | परिसा (पर्षद) = सभा अओज्झा नाम, अयोध्या सद्धा। (श्रद्धा) = धर्मराग, स्पृहा , केरिसी (कीदृशी) = किस प्रकार की सड्ढा । = विश्वास तारा (तारा) नक्षत्र, तारा । सहा (सभा) = सभा देवी (देवी) देवी, उत्तम स्त्री, पटरानी
मंगल
वार
१३७
POS