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________________ आओ संस्कृत सीखें 8. आनुव आश्नुथाः आश्नुत अश्नुवीय अश्नुवीथाः अश्नुवीत अश्वै अनुष्व अश्नुताम् 29 - ह्यस्तनी आश्नुवहि आश्नुवाथाम् आश्नुवाताम् विध्यर्थ अश्नुवीवहि अश्नुवीयाथाम् अश्नुवीयाताम् आज्ञार्थ अश्नवावहै अश्नुवाथाम् अश्नुवाताम् आनुमहि आश्नुध्वम् आश्नुवत तक्ष गण 1 छीलना, पतला करना अर्थ में हो, अक्षू गण 1 मिलना - अर्थ में हो तो नु (श्नु) प्रत्यय विकल्प से लगता है। उदा. तक्ष्णोति, तक्षति । अक्ष्णोति, अक्षति । 1 संतक्षति वाग्भिः शिष्यम् - वाणी द्वारा शिष्य को ठपका देते हैं । यहाँ ठपके अर्थ में नु प्रत्यय नहीं लगेगा । अश् का अश्नुवानः शक्यते अश्नुवीमहि अश्नुवध्वम् अश्नुवीरन् कर्मणि में - चीयते, कृदन्त में - चीयमानः । शक्यमानः । अश्नवामहै अश्नुध्वम् अश्नुवताम् वर्तमान कृदन्त : चि + नु + अत् (शतृ ) = चिन्वत् शक् का शक्नुवत् - पुंलिंग गच्छत् जैसे रूप होंगे । स्त्रीलिंग में - चिन्वती नदी जैसे रूप होंगे । आत्मनेपदी में - चि + नु + आन (आनश् ) = चिन्वानः
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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