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________________ आओ संस्कृत सीखें 2326 ग्रहण करने की इच्छा वाला मेरा छोटा भाई है। 6. रथ की आवाज से भयभीत ये मृग, पृथ्वी को जाने छोड़ने की इच्छा नहीं रखते हो, इस प्रकार वायु ऊपर चढे हुए की तरह आकाश में चलते हैं । 7. हे सुन्दर ! व्यापार के लिए दिग्यात्रा करने की तू इच्छा रखता है (तो) हमारी आशिष से कुशलपूर्वक दिग्यात्रा करके जल्दी आना। 8. जीतने की इच्छावाले एक मात्रा से भी अधिक, किसी को सहन नहीं करते हैं इस हेतु से मानों हे धरानाथ ! आपने धारानाथ को हराया। 9. प्राणी के प्राणों को नष्ट करके जो मांस खाने की इच्छा करता है, वह मनुष्य धर्म रूपी वृक्ष के दया नाम के मूल (जड़) को उखेड़ देता है । 10. ये धन सार्थवाह वसंतपुर जायेंगे (जानेवाला है) (तो) जो कोई भी वहाँ , (वसंतपुर) जाने की इच्छा रखता हो, वे इनके साथ चले जाएं। 11. सर्वथा जीतने की इच्छा से रहित और पाप से अत्यंत भयभीत आपके द्वारा तीनों जगत जीते गए। बड़े मनुष्यों की चतुराई अपूर्व होती है। 12. क्रिया बिना का मात्र ज्ञान वास्तव में काम का नहीं है, रास्ते को जानने वाला भी चलने की क्रिया के बिना इच्छितनगर में नहीं पहँचता है। 13. धन की प्राप्ति की लोलुपता वाला मैं, प्यासा भी पानी नहीं पीता हूँ, भूखा होने पर (भी) खाता नही हूँ और रात में भी सोता नहीं हूँ। 14. पुत्र आदि परिवार के साथ राजा दशरथ भी जाकर उनको वंदन करने लगे और देशना सुनने की इच्छा से बैठे । 15. भक्ति करने की इच्छावालो के ऊपर आत्मभाव होता हैं वैसे ही मारने की इच्छा वाले के ऊपर भी आत्मभाव रखना चाहिए । 16. यहाँ से नजदीक रहनेवाले स्वजनों को आपकी आज्ञा से देखने की इच्छा रखता 17. धिक्कार हो ! धिक्कार हो ! निश्चय से मरने की इच्छा रखने वाले मैंने निंदित कर्म किया। 18. कुमार सभी को अनुक्रम से कहे, 'वह पत्र क्या है? किसने भेजा है, इसमें कौन सा कार्य करने के लिए कहा गया है ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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