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आओ संस्कृत सीखें
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13. नहीं देखे हुए ऊँचे-नीचे भूमि भाग पर तेरे पैर वास्तव में बराबर नहीं पड़ते हैं। 14. फूलों के गुच्छों की तरह मनस्वी मनुष्य की वृत्ति दो प्रकार की होती हैं, सर्व लोक
के मस्तक के ऊपर या जंगल में ही नष्ट होते हैं। 15. निर्गुणपना ही बहुत अच्छा है, गुण के गौरव को धिक्कार हो ।
देखो, दूसरे पेड़ आनंद करते हैं और चंदन के पेड़ काटे जाते हैं । 16. वर्षा ऋतु में मोर अपने पंखों को मंडल रूप करके अच्छे कंठ से मधुर गीत सहित
नृत्य करते हैं। 17. सूर्यसमान देवसूरि ने वास्तव में कुमुदचन्द्र को न जीता होता तो जगत में कौन
श्वेतांबर कमर ऊपर वस्त्र धारण कर सकते। 18. कु संसर्ग से कुलवान मनुष्यों का अभ्युदय कैसे होगा, बोर के पेड़ के पास कदली
केले का वृक्ष कितना आनंद कर सकता है? 19. इसके द्वारा आधे राजाओं को दास बनाया गया और आधे को मारा गया, आधे
हाथी और आधे घोड़े। इसके द्वारा (युद्ध में) सभी तैयार नहीं किये गये थे । 20. मन, वचन और काया में पुण्यरुपी अमृत से भरे हुए उपकार की परंपरा द्वारा
त्रिभुवन को खुश करनेवाले, दूसरों के परमाणु रूप गुण को भी पर्वत तुल्य मानकर अपने हृदय में खुश होनेवाले संतपुरुष कितने हैं।
हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. अस्माक सैन्य इयन्तोऽरय: कति । 2. कतिपयेऽपि देवाः कतिपया अपि नागा अस्य संनिभा नाभवन् । 3. पर्वतेषु मेरु महिष्ठः प्रथिष्ठश्चास्ति । 4. अन्नानां माषा गरिष्ठाः स्निग्धतमाश्च सन्ति । 5. पाण्डवानां भीमसेनः स्थविष्ठो द्रढिष्ठो बलिष्ठश्चासीत् । 6. हस्तस्य पञ्चाङ्गुलयः सन्ति तासां कनिष्ठा कतरा । 7. भूयाननेहा गतस्तदपि रामराज्यस्य महिमानमद्यापि जना गायन्ति । 8. अस्य शकटस्य धुरि द्वावनड्वाही संयोजितौ स्त: तयोरेकतरो
गरीयानन्यतरश्च यवीयानस्ति । 9. कृष्णस्याष्टाग्रमहिष्य आसँस्तासु कृष्णस्य प्रियतमा कतमासीत् ।