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________________ आओ संस्कृत सीखें 19307, हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. अर्यमा प्राच्यां दिश्युदयति, प्रतीच्यां च दिश्यस्तमयति । 2. उदीच्याम्मेरुरस्ति, अवाच्याञ्च लवणसमुद्रोऽस्ति । 3. पुष्पाणि मुक्त्वा प्रौढस्त्रीणाम्मुखमाघ्रातुम्मधुलिडनेकश आयाति । 4. एभिः सम्राभिस्तुराषाड् ह्रियमश्नुते। 5. अयं पूर्जनः शास्त्रे शमे समाधौ सूनृते च प्राङस्ति । 6. धर्मभुद्भिः परिवाडिभर्धर्म उपदिश्यते । 7. काव्यं कविकीर्ति सर्वदिक्षु तनोति । 8. वृत्रघ्न आयुधं वज्रं कथयति । 9. जयसिंहस्य राज्याभिषेकादनन्तरं मन्त्रस्पृगृत्विग् मन्त्रपूतैर्जलाक्षतादिभि मङ्गलं व्यधत्त। 10. जैना परिव्राजः पादयोरुपानही न परिदधति । 11. ब्राह्मणः क्षत्रियो विट् शूद्रश्चैते चत्वारो वर्णाः सन्ति । पाठ 22 संस्कृत का हिन्दी अनुवाद 1. हम किस रास्ते पर हैं? 2. बड़े मनुष्यों का प्रयत्न, अपने कार्य से ज्यादा, दूसरों के कार्य में होता है। 3. आश्चर्य है कि काम-वासना बहुत बलवान है । 4. वास्तव में घोड़े और पवन के लिए क्या दूरी है ? 5. पिता की मृत्यु के बाद प्रायः बड़ा पुत्र धुरंधर (मुख्य) होता है । 6. अधिक बलवान के द्वारा घिरे हुए को, भागने के सिवाय दूसरा रक्षण का साधन नहीं है। 7. बुद्धि से साध्य कार्यो में बलवान भी क्या कर सकते हैं ? 8. कुमार ! सचिव का व्यवसाय बहुत गहन है, इतने मात्र से जानना शक्य नहीं है। 9. जो तुमने तीन अलंकार खरीदे हैं, उसमें से एक दिया जाय। .. 10. यह देव इस प्रकार अपने कुल की भारी प्रशंसा करता है । 11. इन्द्र और आप में इतना ही फर्क है। 12. गल गए तारोंवाली रात्रि, अब थोड़ी रह गई थी।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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