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________________ आओ संस्कृत सीखें 1229 विगतानि चत्वारि यस्य स विचतुरः । उप-समीपे चत्वारो येषां ते उपचतुराः त्रयो वा चत्वारो वा त्रिचतुराः । 18. न, सु और दुर् के बाद प्रजा हो ऐसे बहुव्रीहि से अस् होता है । न विद्यन्ते प्रजा यस्य सः अप्रजा: अप्रजसौ अप्रजसः । सुप्रजाः, दुष्प्रजाः । 19. न, सु, दुर् तथा मंद और अल्प के बाद मेधा हो ऐसे बहुव्रीहि से अस् होता है। उदा. अमेधाः । मन्दमेधाः । आदि 20. धर्म शब्द अंत में हो ऐसे द्विपद बहुव्रीहि से अन् होता है। समानो धर्मो यस्य स सधर्मा, सधर्माणी, सधर्माणः । 21. सु, पूति, उद् और सुरभि के बाद गंध हो ऐसे बहुव्रीहि से इ होता है । उदा. सुगन्धिः कायः । 22. उपमान के बाद गंध शब्द हो ऐसे बहुव्रीहि से विकल्प से इ होता है। उत्पलस्य इव गन्धः यस्य तद् उत्पलगन्धि, उत्पलगन्धम् मुखम् । 23. बहुव्रीहि में धनुष् का धन्वन् और जाया का जानि होता है । उदा. पुष्पं धनुः यस्य पुष्पधन्वा (कामः) । ___उमा जाया यस्य उमाजानिः (शम्भुः) 24. इन् अंतवाले स्त्री लिंग बहुव्रीहि से क (कच्) होता है । बहवो दण्डिनोडस्यां बहुदण्डिका सेना । बहुस्वामिका पुरी। 25. ऋकारांत नाम तथा जिन नामों से ऐ, आस्, आस्, आम् प्रत्यय नित्य हों ऐसे नाम जिसके अंत में हों ऐसे बहुव्रीहि से क (कच्) होता है। बहुकर्तृकः, बहुनदीको देशः, सवधूकः । ... 26. न के बाद अर्थ हो, ऐसे बहुव्रीहि से क (कच्) होता है। उदा. न विद्यते अर्थः यस्य तद् अनर्थकं वचः । 27. कई बहुव्रीहि से विकल्प से क (कच्) होता है। वीर पुरुष को, वीरपुरुषो ग्रामः । .. बहुस्वामिकं, बहुस्वामि नगरम् । सह कर्मणा वर्तते - सकर्मकः, सकर्मा । सपक्षक, सपक्षः ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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