SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आओ संस्कृत सीखें 118 जरा के रूप 1 जरा जरसौ, जरे जरस: जरा: 2 जरसम्, जराम् जरसौ, जरे जरसः, जराः 3 जरसा, जरया जराभ्याम् जराभिः 4 जरसे, जरायै जराभ्याम् जराभ्यः 5 जरस: जरायाः जराभ्याम् जराभ्यः 6 जरस: जरायाः जरसोः, जरयोः जरसाम्, जराणाम् 7 जरसि, जरायाम् जरसोः, जरयोः जरासु संबोधन जरे जरसौ, जरे जरसः, जराः जराम् अतिक्रान्तः - अतिजरः । अतिजरसौ, अतिजरौ, अतिजरसाम् अतिजराणाम् 19. मास, निशा और आसन शब्दों के द्वितीय बहुवचन के अस् (शस्) आदि प्रत्ययों पर विकल्प से मास् निश् और आसन् आदेश होता हैं । उदा. मास: मासान् माभ्याम्, मासाभ्याम। मा:सु । मास्सु मासेषु । निशः, निशाः। निज्भ्याम्, निशाभ्याम्। निच्छु। निच्शु, निशासु । आसानि, आसनानि। आसभ्याम् आसनाभ्याम्। आस्न: आसनस्य। 20. दन्त आदि शब्दों के द्वितीया बहुवचन के अस् आदि प्रत्ययों पर दत् आदि आदेश विकल्प से होते हैं। दन्त का दत् । पाद का पाद् । यूष का यूषन् । दोस् का दोषन् । स्त्री लिंग नासिका का नस् । हृदय का हृद् । असृज् का असन् । उदक का उदन् । पुंलिंग नपुं. लिंग
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy