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आओ संस्कृत सीखें
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उदा. चि + य = चेयम् ।
ने + य = नेयम् । दा + य = देयम् । मा + य = मेयम् ।
तीसरे गण के धातु ऋ = जाना
(परस्मैपदी) | दा = देना (उभयपदी) पृ = पालन करना (परस्मैपदी) | धा = धारण करना (उभयपदी) पृ = पालन करना (परस्मैपदी) | वि+धा = विधान करना (उभयपदी) मा = मापना (परस्मैपदी) | निज् = धोना (उभयपदी) नि+मा = निर्माण करना (आत्मनेपदी)| भृ = पोषण करना (उभयपदी) हा = जाना (आत्मनेपदी) विज् = अलग करना (उभयपदी) उद्+विज् = उद्वेग करना (उभयपदी) | विष = फैलाना (उभयपदी)
शब्दार्थ अगस्ति=क्षत्रिय का नाम (पुंलिंग) । अन्तर = अंतर (नपुं. लिंग) अर्णव = समुद्र (पुंलिंग) | अभ्र = बादल (नपुं. लिंग) आश्लेष = आलिंगन (पुंलिंग) | छल = कपट (नपुं. लिंग) कुक्षि = पेट
(पुंलिंग) | यान = वाहन द्रव = रस
(पुंलिंग) | यूथ = टोला (नपुं. लिंग) धर्मात्मज = युधिष्ठिर (पुंलिंग) | वसन = वस्त्र (नपुं. लिंग) नहुष = एक राजा (पुंलिंग) | विवर = जगह लिंग) बठर = मूर्ख
(पुंलिंग) | शोणित = खून (नपुं. लिंग) मख = यज्ञ
(पुंलिंग)/स्व = धन (नपुं. लिंग) उर्वी = पृथ्वी (स्त्री लिंग) | हेमन् = सुवर्ण (नपुं. लिंग) काश्यपी = पृथ्वी (स्त्री लिंग) | धूसर = मैला (विशेषण) धरणी = पृथ्वी (स्त्री लिंग)| प्रणयिन् = प्रेमी (विशेषण) बदरी = बोर वृक्ष (स्त्री लिंग) प्राकृत = सामान्य (विशेषण) मुक्ता = मोती (स्त्री लिंग) प्राज्य = विस्तृत (विशेषण) शुभ्र = उज्ज्वल (विशेषण) | क्षाम = दुर्बल
(विशेषण)
लिंग)