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आओ संस्कृत सीखें
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संस्कृत में अनुवाद करो 1. याचक धनवान की प्रार्थना करते हैं। 2. मोहनलाल पढ़ने से कंटालता है । 3. चिमनलाल गेहूँ के बदले चावल देता है । 4. रतिलाल पाप से रुकता है । 5. आज राजा प्रयाण करता है | 6. शिष्य आचार्य को मानते हैं । 7. कारण बिना कार्य नहीं होता है । 8. देव विजय पाता है ।
हिन्दी में अनुवाद करो 1. उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ।। 2. लोभात्क्रोधः प्रभवति, लोभात्कामः प्रजायते ।
लोभान्मोहश्च नाशश्च, लोभः पापस्य कारणम् ।। 3. आचार्याः सौराष्ट्रेषु विहरन्ति । 6. भोगिलालो ग्रामादागच्छति । 4. सुखं धर्माद् दुःखं पापात् । 7. सज्जनाः पापं परिहरन्ति । 5. देवदत्तो दुःखमनुभवति । 8. विद्या विनयेन शोभते ।
पाठ-22
कर्तरि-कर्मणि और भावे प्रयोग 1. जिस धातु को कर्म न हो उसे अकर्मक और जिस धातु के कर्म हो उस धातु को
सकर्मक कहते हैं । उदा. चैत्रस्तिष्ठति । (अकर्मक)
देवदत्तस्तण्डुलान् पचति । (सकर्मक) 2. क्रिया का फल और क्रिया एक में हो तो उस धातु को अकर्मक कहते हैं
और अलग अलग हो तो उस धातु को सकर्मक कहते हैं । उदा. 1. चैत्रस्तिष्ठति - चैत्र खड़ा है । यहाँ खड़े रहने की क्रिया और उसका