________________
आओ संस्कृत सीखें
10. हे दासि ! महिषी महालयेऽस्ति वा नास्ति ?
11. अमुष्या नद्या इदं प्रवहणं समुद्रे गच्छति ।
12. जलनिधि र्बह्वीनां नदीनां जलस्य निधिरस्ति । 13. अमुष्यां धारायां पुरा बहवः कवयोऽभवन् । 14. एताः पुष्पमाला महिष्यै नयामि ।
15. साधूनां कीर्तिस्त्रिष्वपि लोकेषु प्रसरति ।
161
संस्कृत का हिन्दी अनुवाद
1. ग्वाला गायों को लेकर गाँव में जाता है । 2. बहुएँ बावड़ी में से पानी ग्रहण करके ले जा रही हैं । 3. इन औषधियों की बेल को तुम क्यों देख रहे हो ?
4. कृपण की ऋद्धि द्वारा दूसरे सुख का अनुभव करते हैं ।
5. राम ने अपनी बहन शान्ता को बहुत सा धन दिया ।
6. इन रास्तों से राजा का रथ गया ।
7. इस साध्वी चंदना आर्या को बारबार नमस्कार हो ।
8. जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवता क्रीडा करते हैं ।
9. इस तरह बाण से मैंने शत्रु को जीता |
10. अयोध्या नगरी सरयू नदी के किनारे पर है ।
11. “आप हम’” और “हम आप” इस तरह हमारी दोनों की बुद्धि थी । अब क्या हुआ ? कि "आप, आप” और “हम, हम” ।
12. समुद्र में वृष्टि व्यर्थ है, पेट भरे हुए को भोजन व्यर्थ है, समर्थ को दान व्यर्थ है और दिन में दीपक व्यर्थ है ।
13. खराब मनुष्य की विद्या वाद के लिए, धन मद के लिए और शक्ति दुःख देने के लिए होती है, अच्छे मनुष्य की विद्या ज्ञान के लिए, धन दान के लिए और शक्ति दूसरों की रक्षा के लिए होती है । अच्छे मनुष्य और खराब मनुष्य के लक्षण उल्टे होते हैं ।