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आओ संस्कृत सीखें
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भाष्यै
अस्तु
सन्तु
भाष भाष्यावहै
भाष्यामहै भाष्यस्व
भाष्येथाम् भाष्यध्वम् भाष्यताम्
भाष्येताम् भाष्यन्ताम्
अस् के रूप असानि असाव
असाम एधि
स्तम्
स्ताम् 1. आज्ञा, अनुमति, सम्मति आदि प्रदान करनी हो तो धातु को पंचमी
विभक्ति-आज्ञार्थ के प्रत्यय लगते हैं । उदा. ग्रामं गच्छ - गाँव जाओ ।
___ अथ नगरं प्रविश - नगर में प्रवेश करो | 2. आशीर्वाद प्रदान करना हो तो धातु को पंचमी विभक्ति के प्रत्यय लगते हैं ।
चिरं जीव (दीर्घ काल तक जीओ)
चिरं जीवतु (दीर्घ काल तक जीओ) 3. विधि, संप्रश्न और प्रार्थना अर्थ में पंचमी विभक्ति के भी प्रत्यय लगते हैं ।
विधिः देवदत्तो ग्रामं गच्छतु - देवदत्त गाँव जाए । संप्रश्नः किं भो व्याकरणं शिक्षै उत सिद्धान्तम्?
मैं व्याकरण सी या सिद्धांत? प्रार्थनाः अहं व्याकरणं पठानि ।
मैं व्याकरण सीखू ? ___4. आशीर्वाद अर्थ में द्वितीय पुरुष एक वचन के 'तु' और 'हि' प्रत्यय का
तात् आदेश होता है . उदा. जीव-जीवतात्
जीवतु-जीवतात् । अस्तु-स्तात् । 5. कृतम्, भवतु, अलं, किम् आदि निषेधार्थक अव्यय के साथ जुड़े नाम को
तृतीया विभक्ति होती है।