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मूड तवा भाषांतर.. छे, अने निष्ठा (पूर्णता) अनुक्रमे पामे छे. ते आ प्रमाणे-प्रथम आहारपर्याप्ति, त्यार पछी घरीरपर्याप्त, त्यार पछी इन्द्रियपर्याप्ति, एम अनुक्रमे जाणवी. छ पर्याहिमा पहेली ओजाहारपर्याप्ति त्रणे शरीरमां एक समपेज पूर्ण थाय छे, अने बीजी शरीरपर्याप्ति त्रणे शरीरमां अंतमूहर्तना प्रमाणाळी छे. ४४. . .. रुवे बाकीनी पर्याप्तिओनू काळपमाण औदारिक शरीरने आश्रीने गाथाना पूर्वार्धवडे कहे छे, अने वैक्रिय तथा आहारक शरीरने आश्रीने गाथाना उत्तरार्धवडे कहे छे:पिहु पिहु असंखसमइअ अंतमुहत्ता उराल चउरो वि । पिह पहु समया चउरो विहुंति वेउविआहारे ॥ ४५ ॥ ____ अर्थ-त्रीजी, चोथी, पांचमी अने छठी ए चार पर्याप्तिओ औदारिक शरीरने विषे असंख्याता समयवाळा पृथक पृथक् अंत. मुहर्ते पूर्ण थाय छे. एटले ते सर्व पर्याप्तिओ तेटला मोटा अंतर्मुहूर्त बड़े परिपूर्ण याय छे तथा वैक्रिय अने आहारक शरीरने विषे त्रीजी, चोथी. पांचमी अने छठी ए चारे पर्याप्तिओ पृथक् पृथक एक एक समये पूर्ण थाय छे. जेम एक समये इन्द्रिय पर्याप्ति, वीजे समये उच्छ्वास पर्याप्ति, प्रोजे समये वचन (भाषा) पर्याप्ति, अने चोथे समये मन पर्याप्ति पूर्ण थाय छे. ४५.
आ प्रमाणे मनुष्य अने तिर्यचने आत्रीने पर्याप्तिओ कही, हवे देव अने नारकीने आश्रीने कहे छ:छन्ह वि समारंभे पढमा समए वि अंतमोहुत्ती। ति तुरिअ समए समए सुरेसु पण छ? इगसमए ॥ ४६॥ - अर्थ-देव अने नारकीने विषे छ ए पर्यासिनो समकाळे मारंभ थाय छे, तोपण :पहेली ओजाहार रूप पर्याप्ति एक समये