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________________ ( २५.) श्री पंच निग्रंथी प्रकरण. ते आ बने प्रकारना प्रायश्चित्तने योग्य एवा सबल चारित्रियाओ सहित ते बकुश होय. अत्र एवी शंका. थाय के आवा दोष तो पा. सत्थाना पण कह्या छे. तो पासत्था अने बकुशमां फेर शो ? उत्तर जो के पासत्थामां तथा वकुशमां सरखा लक्षण देखाय छे तो पण पासस्थो निद्वंघस होय अने बकुश निर्ग्रन्थ प्रायश्चित्तादि सापेक्ष होय जे माटे सूत्रमा पण कयुं छे के:उवगरण देह चुक्खा, रिदी रसगारवासिया निच्च । बहुसबलछेयजुत्ता, निग्गंथा बाउसा भणिया ॥२०॥ उधगरण-उपकरण | गारवने आश्रीरहेनारा चित्त युक्त देह-शरीर निच्च-हमेशा निग्गंथा-निग्रन्थ चुक्खा-चोक्खा | बहु-घणा बाउसा-बकुश रिद्धी-ऋद्धिगारव सबल-सबल भणिया-कमा छ। रसगारवासिय-रस । छेयजुता-छेद प्राय. . ] ___ अर्थ:-उपकरण अने देहना चोक्खा, नित्य, ऋद्धिगारव रस गारव आश्री रहेनारा, घणा सबल छेदाई परिवारे युक्त एवा निप्रेन्यो बकुश कह्या छे. २० . विवेचन:-बकुश निग्रन्थ केवा होय छे ते कहे छ: उपकरण अने शरीरने चोकखा राखनार होय. नित्य ऋद्धिगारव, रसगारव अने शाता गारवने आश्री रहेनारा तथा पूर्व कहेला छेद अने मूल' प्रायश्चित्तने योग्य एवा घणा सवल चारित्रीयाना परिवारवाला कह्या छे. उपर कहेला दोष सहित आत्मोत्कर्ष रहित, शुद्धमार्ग प्र. रूपक, भवभीरू, मोक्षने अर्थे उद्यम करता चारित्री कहीए. पण जेओ कालोचित आहार वसत्यादि यतनामां प्रमादी उत्कृष्टा नाम धरीने सर्वथा यति न कहीए. आभोगे जाणतो करेइ दोसं अजाणणां भोगे। मूलत्तरेहिं संबुड विवरीय असंवुडो होइ ॥२१॥
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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