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सन्दर्भ संकेत :
1. तै0 सं0 115 11 11, 2. काठ0 सं0 25 11, 3. शत0 ब्रा0 9 11 11 16, 4. नि0 10 11 (नि0 दु0 वृ0 10/1), 5. वृ०दे0 2 134, 6. काठ0 सं0 8 12, 7. शत० ब्रा0 6 11 13 17, 8. नि0 114, 9. ऐत0 ब्रा0 5 17 13, 10. नि0 1 13, 11. कौषी० ब्रा० 2312, 12. ऐत0 ब्रा0 5 119 19, 13. कौषी0 11 12, 14. दैव0 ब्रा0 3 113, 15. गोप0 ब्रा0 1 13 110, 16. नि0 7 13, 17. ऋ0 सं0 10 171 111, 18. ऋ० सं० 1 ।10 11, 19. दैव0 ब्रा0 3 12, 20. नि0 1 13, 21. गायतोमुखादुत्पतत्- दै० ब्रा० 3 13, 22. शु0 यजु0 1.130, 23. वृ0 दे0 2 169, 24. वि0पु0 3 11 145, 25. नि0 12 12, 26. नि0 दु0 वृ० 1212, 27. तैत्ति0 सं0 11 14 11212, 28. शत0 ब्रा० 1 ।1 13 14, 29. नि0 2 15, 30. शतं0 व्रा0 14 12 12 12, 31. दैव0 ब्रा0 3 11 11 17, 32. नि0 2 13, 33.ऋ0 5 17112, 34. अथर्व0 1110 11, 35. नि0 2 11, 36. रघु0 4 112,37. ऋ0 1 |115 11, 37 (क). विष्णु पु० 1114 193, 98. वृ0 दे0 7 1128, 39. तै0 ब्रा0 5 12 15 16, 40. नि0 3 14, 41. तदु वैश्वामित्रम् । विश्वस्य ह वै मित्रं विश्वामित्र आस । विश्वं हास्मै मित्रं भवति । ऐ० ब्रा० 29 14 118, 42. नि0 2 17, 43. अष्टा0 6 13 1130, 44. शत0 ब्रा0 2 12-12 12, 45. नि0 1 13, 46. महा० भा० 5 ।1।2, 47. द्रुदक्षिभ्यामिनन् - उणा - 2 150, 48. सर्वानुक्रमणी 2 16, 49. छा० उ0 11412, 50: वेदा0 दी0 111, 51. नि0 7 13, 52. वृ0 दे0 3 126, 53. नि08 11, 54. तै0 आ0 2 19, 55. नि0 2 13, 56. वृ0 30 1 13 121, 57. वृ0 दे0 2 140, 58. नि0 10 11, 59. महा0 भा० अश्वमे0 90 152, 60. वृ० उ0 1 13 120, 61. निο 10 ।1, 62. कुलेनास्ति समो रूपे यस्येति नकुलः स्मृतः - महा० भा०, 63. महा0 वन0 275 140, 64. वा० रा० बाल0 70 137, 65. वा० रा० कि0 13 13, 66. वा0 रा० बाल0 18129, महा० भा० वन0 277 16 1
तृतीय अध्याय
(भारतीय निरुक्तकार एवं उनके निर्वचन सिद्धान्त) (क) निरुक्तमें चर्चित निरुक्तकार
प्राचीन ऋषियों, कवियों, साहित्यिकों एवं विविध ग्रन्थ प्रणेताओंके सम्बन्धमें समयादि एवं स्थानादिका सम्यक् ज्ञान आज हमें इसलिए उपलब्ध
५२ : व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क