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________________ पंचदशोऽध्यायः 281 यदि शुक्र मघा नक्षत्र के दक्खिन भाग का भेदन करे तो आढक प्रमाण जल की वर्षा होती है और धान्य महँगा होता है ।।113।। विलम्बेन यदा तिष्ठेन् मध्ये भित्त्वा यदा मघाम् । आढकेन हि धान्यस्य प्रियो भवति ग्राहक: ॥1141 जब मघा के मध्य का भेदन कर शुक्र अधिक समय तक रहता है तो आढक प्रमाण जल की वर्षा होती है और धान्य प्रिय होता-महँगा होता है ।1141 मघानामत्तरं पावं भिनत्ति यदि भार्गवः। कोष्ठागाराणि पीड्यन्ते तदा 'धान्यमुहिंसन्ति ॥115॥ यदि मघा के उत्तर भाग का शुक्र भेदन करे तो धान्य के लिए हिंसा होती है और कोष्ठागार-खजांची लोग पीड़ित होते हैं ।।115॥ प्राज्ञा महान्त: पोड्यन्ते ताम्रवर्गो यदा भगः। प्रदक्षिणे विलम्बश्च महदुत्पादयेज्जलम् ॥116॥ जब शुक्र ताम्रवर्ण का होता है तो विद्वान् मनीषी व्यक्ति पीड़ित होते हैं और प्रदक्षिणा में शुक्र विलम्ब करे तो अत्यधिक वर्षा होती है ।।116॥ पूर्वाफाल्गुनी सेवेत गणिका रूपजीविनीः । पीडयेद् वामग: कन्यामुग्रकर्माणं दक्षिण: 1117॥ पूर्वाफाल्गुनी में शुक्र का बायीं ओर से आरोहण हो तो रूप से आजीविका करने वाली गणिकाएँ पीड़ित होती हैं और दाहिनी ओर से आरोहण हो तो उग्रकार्य करने वाले पीड़ित होते हैं ।1170 शबरान् प्रतिलिङ्गानि पीडयेदुत्तरां "श्रितः । वामग: स्थविरान् हन्ति दक्षिण: स्त्रीनिपीडयेत् ॥118॥ उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में बायीं ओर से शुक्र आरोहण करे तो शबर, ब्रह्मचारी, स्थविर-निवासी राजा को पीड़ा होती है तथा दाहिनी ओर से आरोहण करने पर स्त्रियों को पीड़ा होती है ।।118।। काशांश्च रेवतीहस्ते पीडयेत् भार्गव: स्थितः। दक्षिणे चोरघाताय वामश्चोरजयावहः ॥119॥ दाहिनी ओर से रेवती और हस्त नक्षत्र में शुक्र स्थित हो तो काश और चोरों का घात करता है और बाँयी ओर से स्थित होने पर चोरों को जय-लाभ देता है ॥1191 1. धान्यार्थमुपहिंसति मु० । 2. स्तदा नपाः मु० । 3. महान् मु० । 4. गतः मु० ।
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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