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________________ [ ४५४ ] रसार्णवसुधाकरः एवमादिप्रकारेण योज्या निर्देशयोजना ।। ३२९ ।। लोकशास्त्राविरोधेन विज्ञेया वाक्यकोविदैः । इत्यादि इस प्रकार से निर्देश की योजना करनी चाहिए जो लोक तथा शास्त्र के अनुसार वाक्य- कोविदों द्वारा जाना ( कहा गया है ।। ३२९उ - ३३०पू.।। अथ नामपरिभाषा -- अनुक्तनाम्नः प्रख्याते कञ्चुकिप्रभृतेरपि ।। ३३० ।। इतिवृत्ते कल्पिते तु नायकादेरपि स्फुटम् । रसवस्तूपयोगीनि कविर्नामानि कल्पयेत् ।। ३३१ ।। (३) नाम- परिभाषा - प्रख्यात तथा कल्पित इतिवृत्त में अनुक्त नाम ( पूज्य होने के कारण नाम न लिए जाने वाले कच्चुकी इत्यादि तथा नायिका इत्यादि का रस तथा इतिवृत्त के लिए उपयोगी नामों की कवि कल्पना कर ले।। ३३०-३३१पू.।। (तत्र कञ्चुकीनामकरणम् ) विनयन्धरबाभ्रव्यजयन्धरजयादिकम् 1 कार्यं कञ्चुकिनां नाम प्रायो विश्वाससूचकम् ।। ३३२।। कञ्चकी का नामकरण- विनयन्धर, बाभ्रव्य, जयन्धर, जय इत्यादि विश्वाससूचक नाम कञ्चुकियों का रखना चाहिए ॥ ३३२ ॥ (अथ चेटीनामकरणम् ) - लतालङ्कारपुष्पादिवस्तूनां ललितात्मनाम् । नामभिर्गुणसिद्धैर्वा चेटीनां नाम कल्पयेत् ।। ३३३।। चेटी का नामकरण - ललितात्मा वाली लता, अलङ्कार, पुष्प इत्यादि वस्तुओं के नाम से अथवा गुण की सिद्धि (निपुणता ) के अनुसार चेटियों का नामकरण करना चाहिए।।३३३॥ (अथानुजीविनामकरणम् ) - करभः कलहंसश्चेत्यादि नामानुजीवनाम् । (वन्दिनामकरणम् ) - कर्पूचण्डकाम्पिल्येत्यादिकं नाम वन्दिनाम् ।। ३३४।। अनुजीवियों और चारणों का नामकरण- करभ कलहंस इत्यादि अनुजीवियों का और कपूरचण्ड, काम्पिल्य इत्यादि चारणों का नाम रखना चाहिए | | ३३४ ॥ (अथ मन्त्रिनामकरणम् ) सुबुद्धिवसुभूत्यादि मन्त्रिणां नाम कल्पयेत् ।
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
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