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________________ तृतीयो विलासः [४५५] (अथपुरोधसः नामकरणम् ) देवरातः सोमरात इति नाम पुरोधसः ।।३३५।। श्रीवत्सो गौतमः कौत्सो गाग्र्यो मौद्गल्य इत्यपि । मन्त्री और पुरोधा का नामकरण- सुबुद्धि, वसुभूति इत्यादि मन्त्रियों का तथा देवरात, सोमरात इत्यादि और श्रीवत्स, गौतम, कौत्स, गार्ग्य, मौद्गल्य इत्यादि पुरोधाओं (पुरोहितों) का नाम रखना चाहिए।।३३५-३६६पू.।। (अथ विदूषकनामकरणम् ) वसन्तकः कापिलेयः इत्याख्येयो विदूषकः ।।३३६।। विदूषक का नामकरण- वसन्तक, कापिलेय इत्यादि विदूषक का नामकरण करना चाहिए। (अथ नायकनामकरणम् ) प्रतापवीरविजयमानविक्रमसाहसैः वसन्तभूषणोत्तंसशेखरोपपदोत्तरैः ।।३३७।। धीरोत्तराणां नेतृणां कुर्वीत नाम कोविदः । चन्द्रापीडः कामपाल इत्याचं ललितात्मनाम् ।।३३८।। - उग्रवर्मा चण्डसेन इत्याधुद्धतचेतसाम् । दत्त सेनान्तनामानि वैश्यानां कल्पयेत्सुधीः ।।३३९।। नायक का नामकरण- धीरोत्तर नायकों का प्रताप, वीर, विजय, मान, विक्रम और साहस (अर्थ) वाले वसन्त, भूषण, उत्तंस, शेखर उत्तरवर्ती पद वाला नाम रखना चाहिए। ललित (नायकों) का चन्द्रापीड, कामपाल इत्यादि तथा उद्धत (नायकों) का उग्रवर्मा, चण्डसेन इत्यादि नामकरण करना चाहिए।।३३७-३३९।। (अथ नायिकानामकरणम् ) कर्पूरमञ्जरी चन्द्रलेखा रागतरङ्गिका । पद्मावतीति प्रायेण नाम्ना वाच्या हि नायिकाः ।।३४०।। नायिका का नामकरण- नायिकाएँ प्राय: कर्पूरमञ्जरी, चन्द्रलेखा, राजतरङ्गिणी, पद्मावती-इन नामों से अभिहित की जानी चाहिए।॥३४०॥ (अथ देवीनामकरणम् ) देव्यस्तु धारिणीलक्ष्मीवसुमत्यादिनामभिः ।। महारानी का नामकरण- धारिणी, लक्ष्मी, वसुमती इत्यादि नामों द्वारा देवियाँ (महारानियाँ) कही जानी चाहिए।।३४१पू.॥
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
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