SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 428
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तृतीयो विलासः [३७७] परापेक्षाव्युदासाथ तन्निदर्शनमुच्यते । (१०) निदर्शन- जहाँ दूसरे की उपेक्षा के प्रतिषेध के लिए प्रसिद्ध अर्थों की कल्पना की जाती है वह निदर्शन कहलाता है।।१०६उ.-१०७पू.।। यथाभिज्ञानशाकुन्तले (१/२५) मनषीषु कथं वा स्यादस्य रूपस्य सम्भवः । न प्रभातरलं ज्योतिरुदेति वसुधातलात् ।।579।। अत्र प्रतिवस्तुन्यायेन सदृशवस्तुकीर्तनं निदर्शनम् । जैसे अभिज्ञानशाकुन्तल १/२५ में भला कैसे मानुषियों में इस सौन्दर्य की उत्पत्ति हो सकती है। प्रकाश से चञ्चल ज्योति (बिजली) पृथ्वी-तल से उदित नहीं होती।।579।। यहाँ दूसरी वस्तु के न्याय से समान वस्तु का कथन होना निदर्शन है। अथ सिद्धिः अतर्कितोपपन्नः स्यात् सिद्धिरिष्टार्थसङ्गमः ।।१०६।। (११) सिद्धि- अचानक प्राप्त हुए अभीष्ट अर्थ (उद्देश्य)का समागम सिद्धि कहलाता है।।१०७उ.।। यथा मालविकाग्निमित्रे (३/५पद्यादनन्तरम्) _ 'विदूषकः- (दृष्ट्वा) ही हीवअस्सं एदं क्खुसीहुपाणुव्वेजिदस्य मछडिआ उवणदा, (आश्चर्यमाश्चर्य वयस्य एतत्खलु सीधुपानोवजितस्य मत्स्यपिण्डकोपनता)। राजा- अये किमेतत्। विदूषकः- एसा णादिपरिक्खिदवेसा असुअवअणा एआइणी मालविआ अदूरे वट्टइ- (एषा नातिपरिष्कृतवेषोत्सुकवदनैकाकिनीमालकिकाऽदूरे वर्तते)। राजा- (सहर्षम्) किं मालविका।। विदूषकः- अह (अथ किम) 'राजा- शक्यमिदानी जीवितमवलम्बितुम्। इत्यत्रेरावतीसङ्केतं गच्छतो राज्ञो मालविकादर्शनसिद्धिरचिन्तिता सिद्धिः। जैसे मालविकाग्निमित्र में ३/५ पद्य से पूर्व विदूषकः- (देखकर) आश्चर्य है महान् आश्चर्य है। यह तो मदमस्त व्यक्ति के समक्ष मानो मिश्री रखी हुई है। राजा- अरे! यह क्या? विदूषक- साधारण वेष में तथा उत्कण्ठित मुख लिये हुए अकेली मालविका अत्यधिक निकट ही विद्यमान है। राजा(प्रसन्नता पूर्वक)- अरे! क्या मालविका यहाँ है। विदूषक- और क्या ? राजा- अब मैं जीवन-धारण करने में समर्थ हो सकता हूँ। यहाँ इरावती द्वारा दिये गये संकेतस्थल पर गये हुए राजा का मालविका के दर्शन की सिद्धि अचिन्तित सिद्धि है।
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy