SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषयानुक्रमणी चान्द्र वैयाकरणों का मत, उक्तार्थ का अप्रयोग, अनुप्रयोग, शाकटायनजिनेन्द्रद्धि-उपदेशवित् आचार्यों के अभिमत, व्यक्ति-जातिपक्ष, लौकिकी पूर्वकालविवक्षा, पाठान्तर, जीवोपघातरूप हिंसा, भूमि की हिंसा सम्भव नहीं, वीप्सा, लोकोपचार, जयादित्य आदि के मत, लौकिक शास्त्रीय सज्ञाएँ, उच्च स्वर से प्रिय का तथा नीच स्वर से अप्रिय का आख्यान, जिनेन्द्रद्धि आदि आचार्यों के अभिमत, पाठान्तर, कृत्सज्ञक प्रत्यय, कृत्य-क्त-खलर्थक प्रत्यय, गरीयसी प्रतिपत्ति, उक्तार्थ का अप्रयोग, क्रियार्थक कर्मशब्द, पाठान्तर, निपातन से कार्यसिद्धि, औणादिक शब्दों की यथाकथञ्चित् व्युत्पत्ति, रूढ शब्दों में भी क्रिया-कारकसम्बन्ध, प्रयोगानुसार प्रत्ययों की योजना, ध्रौव्यार्थ का अकर्मक होना, गरीयसी प्रतिपत्ति, कारण में कार्य का उपचार, अन-अक-अन्त-यप् आदेश, आर्याछन्दोबद्ध उदाहरण, प्रीति से आदरभाव की अभिव्यक्ति, अच्छ शब्द अव्यय, प्रयोगानुसार अर्थों की प्रसिद्धि, विशेष्य-विशेषणभाव प्रयोक्ता के अधीन, पर्युदास-प्रसज्यवृत्ति, पाठान्तर, क-ग-आदेश, विवक्षा, अभिधान से प्रत्ययव्यवस्था, सूत्रकार आदि के अभिमत, सञ्ज्ञाशब्द की यथाकथञ्चित् व्युत्पत्ति, निपातनविधि, प्रतिपत्तिगौरव के निरासार्थ निपातन, समान का 'स' आदेश, योगविभाग, इदम् को 'ई' आदेश, अदस् को 'अमू' आदेश, 'सध्रि-समि-तिरि-ध्' आदेश, व्यवस्थितविभाषा. नकारादेश, सूत्रकारश्रुतपाल का अभिमत, इडागम का निषेध, वैकल्पिक इडाग-i, लुप्त प्रथमा एकवचन की अतन्त्रता, निपातनविधि, 'म-क-व' आदेश, वृद्धि आदेश]। प्रथमं परिशिष्टम् (५४६ सूत्र) कृत्प्रकरणस्य सूत्रपाठः ६५९-६६४ द्वितीयं परिशिष्टम् (३१९ सूत्र) उणादिसूत्रपाठः ६६५-६८३ तृतीयं परिशिष्टम् (५४६ सूत्र) तुलनात्मकसूत्रसूची ६८४-७१५ चतुर्थ परिशिष्टम् (५४ ग्रन्थ) उद्धृतग्रन्थनामावली ७१६-७१८ पञ्चमं परिशिष्टम् (९७ ग्रन्थकार) उद्धृतग्रन्थकारनामावली ७१९-७२३ षष्ठं परिशिष्टम् (५३४ शब्द) व्युत्पादितशब्दसूची ७२४-७३१ सप्तमं परिशिष्टम् (१०५ श्लोक) श्लोकसूची ७३२-७३७ अष्टमं परिशिष्टम् (२०८८ शब्दरूप) रूपसिद्धिशब्दसूची ७३८-७७० नवमं पारेशिष्टम् (५५९ शब्द) विशिष्टशब्दसूची ७७१-७८१ दशमं परिशिष्टम् साङ्केतिकशब्दसूची ७८२-७८३ HTHHTHHHHHHHET.
SR No.023091
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2005
Total Pages824
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy