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________________ ३२ कातन्त्रव्याकरणम् ४४. अष्टमं परिशिष्टम् = विशिष्टशब्द-वचनसंग्रहः पृ० सं०७१५-४४ [ व्याख्याओं में उद्धृत १३८६ विशिष्ट शब्दों तथा वचनों का संग्रह, जो विषय-प्रक्रिया-पारिभाषिक प्रयोग-शैली आदि के सूचक हैं ] । ४५. नवमं परिशिष्टम् = उद्धृत ग्रन्थसूची पृ० सं०७४५-४७ [ उक्त चार व्याख्याओं में उद्धृत ७७ ग्रन्थों की सूची ] । ४६. दशमं परिशिष्टम् = उद्धृता आचार्याः पृ० सं०७४८- ५१ [ सम्पादित चार व्याख्याओं में उद्धृत ११२ आचार्य नामों का संग्रह, जिनमें कुछ 'अन्ये, अपरे, एके, केचित्, नवीना:, प्राञ्चः, महान्तः, मूर्खाः, ये, वैयाकरणाः, वैशेषिकाः, समाम्नायविदः, साम्प्रदायिका:' आदि शब्दों से मूहिक रूप में स्मृत हुए हैं ] । ४७. एकादशं परिशिष्टम् = मुद्रितग्रन्थ- हस्तलेखपरिचयः पृ० सं०७५२-५९ [ ४७ मुद्रित ग्रन्थों की सूची, ७६ ग्रन्थों के २९८ हस्तलेखों का परिचय ] । ४८. द्वादशं परिशिष्टम् = साङ्केतिकशब्दपरिचयः पृ० सं०७६० - ६१
SR No.023088
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year1999
Total Pages806
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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