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4/361 देक्खु 4/362 होइ
4/364 पुच्छह
जोइ
सरइं
4/365
"
"
4/366
"
4/367
"
4/368
उहिं
तद्भव
38
देशी
तद्भव
नवहिँ
जीवइ
गज्जहि
रोइ
"
विहसन्ति तद्भव
सोसउ
"
जलइ
उट्ठब्भइ
कुहइ
डज्झइ
तडप्फडइ देशी
देशी
पाविअइ तद्भव
आवइ
खण्डइ
अणुहरहिं
15 - तद्भव
16–तद्भव
हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि
देक्ख
देखना लोट्
हो
होना लट्
तत्सम
तद्भव
पुच्छ
जो
सर
मउल
पूछना
देखना
स्मरण
करना
मुकुलित
वंद होना
वि+हस हंसना
सोस
जल
सूखना
लोट्
जलना लट्
उत्+टब्भ ढाकना
कुह दुर्गन्ध करना"
डज्झ जलाना
तडफड हिलना
या प्रयत्न करना
पाव
पाना
आव
आना
खण्ड तोड़ना
नव
जीव
गज्ज
रुद
अणु +हर अनुसरण
करना
झुकना
जीना
गरजना
रोना
"
"
लट्