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हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि
80-असी, असिय (< अशीति)। 82-बासीइं, बेसाओ (< द्वयशीति)।
84-चउरासी (< चतुरशीति) प्रा० चउरासीइ; गुज० चोरासी, हिo-चउरासी, नेपा०-चौरासि ।
88-अट्ठासि (< अष्टाशीति)।
90–णवदि, णवइ, णउदि, नउय < सं० नवति, प्रा०-नउइ, न० भा० आo-म०-नव्वद्, गु० नेवू, हि० पंजाo-नव्वे, नेपाo-नव्वे ।
96-छण्णवइ, छण्णउदि (सण्णवति), प्रा०-छणउइ, न० भा० आo-मराo-शाण्णव, गु० छण्णऊ, ने० छयानव्वे ।
99–णवणउयि (वरिसयी) < नव-नवति, प्रा० णवणउइ-न० भा० आo-हि० निन्यानवे ।
100-सअ, सउ, सय < शत ।
200-दो सयाई, 300-तिण्ण सयाई, 400-चत्तारि सयाई, प्राकृत पैंगल-चउसया मिलता है। 500-पञ्च सया, 600-छ सयाई, छ सया भी पाया जाता है और छस्सया भी मिलता है।
1000-सहस्स, सहस < सहस्र, 1008-अट्ठसहस्सं ।
100000-लक्ख, लख < लक्ष, इसके लिये सत सहस्स शब्द भी मिलता है।
10000000–कोडी < कोटि। (2) क्रमात्मक संख्यावाचक विशेषण
पढम, पढमं, पढमो, पढमे, पढमहि < सं० प्रथम, पहिल्लिअ, बीअ, बीए, बीअम्मि < सं० द्वितीय। तीअ, तीअं तीअओ, तिअलो, तीए < सं० तृतीय। चउठा, चउथो, चउत्थए, चउत्थहि < सं० चतुर्थ, इसके अतिरिक्त परवर्ती अपभ्रंश में ‘चारिम' शब्द भी मिलता है। पंचम, पंचमा, पंचमे < सं० पंचम ।