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रूप विचार
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प्राकृत व्याकरण अपेन्डिक्स, पृ० 680-प्रकाशन पूना । 'लिङ्गमतन्त्रम्' 8/4/445 पिशेल प्राकृत भाषाओं का व्याकरण पृ० 511, प्रकाशन-राष्ट्रभाषा परिषद पटना। पिशेल प्राकृत भाषाओं का व्याकरण पृ० 511 राष्ट्रभाषा परिषद पटना। हिन्दी भाषा का उद्गम और विकास-डॉ०उदय नारायण तिवारी पृ० 129
अपभ्रंश पाठावली पृ० 13 11. "स्यमोरस्येद्वा' हेमचन्द्र प्राकृत व्याकरण 8/4/331 12. 'सौ पुंस्योद्वा' हे० प्रा० व्या० 8/4/332
'स्यमो जस्शसांलुक्’ हे० प्रा० व्या० 8/4/333 14. "एट्टि' हे० प्रा० व्या० 8/3/333 15. 'आट्टोणोऽनुस्वारः" हे० प्रा० व्या० 8/4 16. 'भिस्सुपोहिं' हे० प्रा० व्या० 8/4/347
'ङसेहू' हे० प्रा० व्या० 8/4/336 18. 'भ्यसो हुँ' हे० प्रा० व्या० 8/4/337 19. 'ङसः सु होस्सवः' हे० प्रा० व्या० 8/4/338 20. 'आमोहं' हे० प्रा० व्या० 8/4/339 21. 'ङि नेच्च' हे० प्रा० व्या० 8/4/334 22. 'एं चेदुतः' हे० प्रा० व्या० 8/4/303 23. 'ङसिभ्यस् ङीनां हे हं हयः' हे० प्रा० व्या० 8/4/341 24. हुं चेदुद्भ्याम्' हे० प्रा० व्या० 8/4/340 25. हिस्टोरिकल ग्रामर ऑफ अपभ्रंश पृ० 150 26. प्राकृत भाषाओं का व्याकरण पृ० 557 27. हेमचन्द्र के प्राकृत व्याकरण पर अपेन्डिक्स पृ० 697