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रूप विचार
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पुल्लिंग
बहु०
कर्ता-कर्मकरण
एक० को, कु केण, कइं, कउ, किहे, (कहे), कहाँ, कहो, कहु, कस्स, कासु कहि, कहिं
अपादान
केहिं कहु काहं, कह कहिं
सम्बन्धअधिकरणनपुंसक लिंग
एक० किं
बहु० काई
प्रथमा- कर्म स्त्रीलिंग
एक०
बहु० प्रथमा, कर्म का, क
कायउ, काउ तृतीयाकाई, काए
केहि, काहि पंचमी काहे
काहिं षष्ठीकाहिं, काहि
काहि सप्तमी काहिं
काहिं प्रश्न वाचक एवं अनिश्चय वाचक किम् शब्द का रूप अपभ्रंश में तीन प्रकार से मिलता है-क, किं एवं अन्तिम कवण60 का रूप अधिक पाया जाता है। इसी कवण (कवण < कउणं < कौन) से आधुनिक हिन्दी का कौन शब्द बना है। काइं रूप नपुंसक लिंग में पाया जाता है। किम् शब्द के 'क' में सं० अपि का वि होकर, कवि, केवि, कुवि या किंपि और केणवि इत्यादि रूप पाये जाते हैं। परवर्ती अपभ्रंश में काइं का रूप विनष्ट हो गया। हिन्दी में कौन, किनका, किनसे,