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________________ परोक्ष प्रमाण के तीन भेद- अणुमान प्रमाण १ उपमा प्रमाण २ आगम प्रमाण ३ । सो मेरे को प्रतक्ष ज्ञान तो नहि परंतु परोक्ष प्रमाण ते एही संभव होवे हे- असंजतियाका अछेरा श्री वीरस्वामी के तीर्थ में होया दीसें हे | आगे बहुश्रुत कहे ते प्रमाण । एह बात सुण के शिष्य बोल्यो- स्वामी ! जिना पुरूषांने टीका रचिया हे ते पुरुष पडित थें । लक्ष्मीवल्लभजीने कल्पसूत्र की टीका मध्ये सविधिनाथ के अंतरे में असंजतिया का अछेरा देख्या हे तथा विनयविजयजी उपाध्यायजीने कल्पसूत्र की सुखबोधिका टीका बणाइ हे तिसमें बी असंयतीया का अछेरा सुविधिनाथ के बारें कह्या हे तथा कल्पसूत्र की कथा मध्ये पिण सुविधनाथ के बारे असंयतीया का अछेरा कह्या हे तथा किसे और टीकादिक मध्ये कह्या होवेगा । टीकाकार महा बुद्धिवंत विना विचारी बात कहे नहीं । स्वामीजी ! में तो आपका शिष्य हां ? आपको कोइ बहुश्रुत पुरुषा की आसातना न लागे ते विचार लेजो । हे देवाणुपिया ! मेंने किसेकी निंद्या तो नथी करी । जिम मेरे को भास्या हे तिम तेरे प्रते मेने कह्या हे । कदे पुन्य जोगे मेरे को ज्ञानीमहाराज मिलेगे तब में निरना करके जिम बहुश्रुत महाराज कहेंगे तिम अंगीकार करशुं । दोष कहेगे तो दंड प्रायछित- लेसु । इस कालमे तो बहुश्रुती का जोग मिलणा दुर्लभ दीसे हे । अब में किस समीपे कहु ? किम निर्ना करु ? तिवारे शिष्य कहे हे - इस काल में बहुश्रुतीतो मिलणा दुर्लभ हे परंतु बहु श्रुतिया के शास्त्र तो हे तिनाकी तो सरधान् रखवी जोइए । हे शिष्य ! एह बात बहुत अछी कही । परंतु आपणे २ मतमे तो घणे बहुश्रुती थइ गये परं मांहोमांही परुपणा मे घणा विरोध दीसे हें । तो किस पासे निरधार करीए सो कहो । में देख के अंगीकार करस्युं । तिवारे शिष्य कहे- जिस गुरुने आपको संसार विचो काढ्या हे तिस गुरु समीपे निर्ना करना जोग हे । तिसका उत्तर-जिस गुरुने संसार ते काढ्या हे तथा मेरे को संसार ते काढणे को समर्थ हे ते पुरुष इस भव तो मेरे को मिले नथी । तिनाके वचन तो शास्त्रा विषे घणे हे । ते तो आपणी बुध मुजब तथा किसे के उपकारते आपणी खेउपसम मुजब तथा शक्ति मुजब खप करीए हें । ज्ञानी सतकारेगा तो खरा नही तो जिम पिछे अनंता काल वही गया तिम एह भव बी तीसकी तरे जाणवा । मोहपत्ती चर्चा * ४४
SR No.023016
Book TitleMuhpatti Charcha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasenvijay, Kulchandrasuri, Nipunchandravijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages206
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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