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( ४ ) स अमाकृतिक भोजन है। इसीलिये शरीर में अनेक उपडव करता है। आजकल का सभ्य समाज इस मांस के खाने से कैन्सर, क्षय, ज्वर, पेट के कीडे आदि भयानक रोगों से जो एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य मैं फैलते हैं, बहुत अधिक पीड़ित होता है इसमें कोई पाश्चर्य नहीं कि मांसाहार उन मयानक रोगों के कारों में से एक कारण है जो १०० में नियामक का सताने हैं।"
"मसमार-किमार" : "ऐसे सिलपेस्टर, प्रेहम, ओ. एस. फौल्डर, जे. एफ न्यूटन, जे० स्मिथ, डा. ओ. ए. अलफ्ट हिडकलेख्ड, चीन, लेम्ब वकान, ग़ज़ी, श्रोलास, पेम्वरटन, हाईटेला इत्यादि कई डाक्टरों, प्रवीण चिकित्सकों ने अनेक दृढतर प्रमाणों से सिद्ध किया है कि मांसमछली खाने से शरीर ध्याधि-मन्दिर होजाता है। यकृत, यक्ष्मा, राज यक्ष्मा, मृगी, पादशोथ, वात रोग, संधिवात, नासूर और क्षम रोग आदि रोग उत्पन्न होते हैं । सिन डाक्टरों ने मायक्ष उदाहरण द्वमा महम्पट किया है कि मांस माली समा योड़ देने से ममुष्य के अल्कट रोग समूल नार गाये है पेशा मुष्ट हो. जाते हैं, डा० एस० ग्रहेमन, डबल्लू एस मूलारा प्रामली. लेम्ब, क्यानिस्टर बेनर, जे पोर्टर, ऐ० जे० नाइट, और जे. स्मिथ इत्यादि डाक्टर स्वयं मांस खाना छोड़ देने पर यक्ष्मा, अतिसार अजीर्णता और सगी रोगों से विमुक्त होकर सबन और परिश्रमी हुए हैं। इसी प्रकार उन्होंने अन्य रोगियों को मांस छुडाकर प्रका तन्दुरुस्त किया है एवं कई डाक्टरों ने अपने परिवार में मांस खाना खुद्ध दिया है।"
"मांसाहार निवार" :