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एकही कतार में होते हैं । परन्तु मांसाहारी जीवों के आगे वाले जो दो बड़े दांत हैं वे दूसरे दांतों से बड़े तेज नुकीले और आगे की तरफ निकले हुए होते हैं, वे मांस खाने के लिए बड़ा सुभीता प्रदान करते हैं, किन्तु शाकाहारी जीवों के सब दांत एकही कतार में होते हैं, अतः किसी भी दृष्टिकोण से अर्थात् मनुष्य के दांत, शारीरिक ढांचा, जबड़ा तथा पाचक यन्त्रों को ध्यान में रखते हुये स्पष्टरूप से पता लगता है कि वह बन्दर से मिलता जुलता है जो कि कट्टर शाकाहारी है ।
एक बड़ा भेद यह भी स्पष्ट है कि मांसाहारी जानवर जब पानी पीते हैं तब जबान से लपलपा कर पीते हैं, वे हाथी, घोडा व बैल आदि निरामिषाहारी जीवों की तरह दोनों होंठ मिला खींच कर पानी नहीं पी सकते । इससे भी यही मालूम होता है कि, मनुष्य का शरीर मांसाहारियों से नहीं मिलता
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मांसाहारियों की आंखें निरामिष भोजियों से भेद रखती हैं, मांसाहारी जानवरों की नेत्रज्योति सूर्य का प्रकाश सहन नहीं कर सकती । लेकिन वे रात को दिन की भांति देख सकते हैं, रात को उनकी आंखें दीपक के समान अङ्गारे की तरह चमकती हैं परन्तु मनुष्य दिन को भली भांति देख सकता है। सूर्य का प्रकाश उसका विधातक नहीं बल्कि सहायक है, और मनुष्य की श्राखें रात को न तो चमकती हैं और न प्रकाश के बिना वे देख सकती हैं।
मांसाहारी जीव का जब बच्चा पैदा होता है तब उसकी श्रांखें