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लिंग पारण० १३, मुद्धिय पार० १४, दालिम पाण० १५, खज्जूर पाण० १ नारियेर पाण०१७, करीर पाण० ८, कोल पाण
,
१६, आमलय पाण० २०, चिंचा पाण० २१, अन्नयरं वा तह पगारं पारणग जात स अट्ठियं, सकणुयं सबीयगं असंज्जए भिक्खू पडियाए, छब्बेण वा दूसेण वा वालगेण वा आविलियारण परिवीलिया परिसावियाण आट्ठ दलइज्जा तहप्पगारं पाणगजायं अफाट लाभ संते तो पडिगाहिज्जा || सू० ४३ ॥
( आचारांग द्वितीय श्रत स्कन्ध पृ० १४७ )
अर्थ - वह भिक्षु अथवा भिक्षुणी उस पानक जात को जाने जैसे – आम्रपानीय ( आम की गुठलियां तथा उसके छिलके को धोकर बनाया हुआ पानी ) आम्रातक पानीय, । मरोरे को धोकर चित्त किया हुआ पानी ) कपित्थ पानीय, ( कैंथ फल के गूदे से अम्ल बना हुआ पानी ) मातुलिंग पानीय ( बिजोड़ा निम्बू के रस से अम्ल बनाया हुआ पानी ) मृद्वीका पानीय ( द्राक्षाओं को पानी में भिगो कर छाना हुआ पानी ) दाड़िम पानीय ( दाड़िम का रस अगर शरबत मिला कर तैयार किया गया पानी ) खजूर पानीय ( खजूरों को पानी में धोकर तैयार किया हुआ पानी ) नारिकेरल पानीय (कच्च े नारियल में से निकाला गया पानी) करीर पानीय ( पक्के केरों को जल में मसल कर तैयार किया पानी, कोय पानीय (वेरों के चूर्ण से बनाया हुआ अम्ल जल आमलक पानीय (आमले की खटाई से अम्लता प्राप्त पानी, अम्लिका पानी ( इमली का पानी ) इस प्रकार का अन्य भी कोई पानी