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________________ ( २०० ) ऊपर मार्जारापर पर्याय अगस्त्य और कुक्कुटा पर पर्याय सुनिपाक के जो गुण बताये गये हैं इनसे पाठक गरण स्वयं स्वीकार करेंगे कि भगवान महावीर ने रेवती के घर से जो खाद्य पदार्थ मंगवाया था, वह उनकी बीमारी को शान्त करने वाला इन्हीं मार्जार तथा कुक्कुट वनस्पति के उपादानों से बना हुआ वानस्पतिक मांस था, पटेल गोपालदास और धर्मानन्द कौशाम्बी का बिल्ली द्वारा ' मारे गये कुक्कुट का बासी मांस नहीं । यह पदार्थ रोग तो क्या हटाये ? तन्दुरुस्त आदमी को भी बीमार कर देता है । दूसरी बात यह है कि उस समय वैदिक धर्मशास्त्रानुसार ग्राम्य कुक्कुट अभक्ष्य माना जाता था, और माराघ्रात भोजन भी अभक्ष्य माना जाता था । इम दशा में बिल्ली से मारे गये कुक्कुट का मांस पका कर रेवती अवने लिये तैयार करे, यह केवल असम्भव बात है । उक्त विद्वानों ने उपर्युक्त सभी पहलुओं से विचार किया होता तो वे ऐसी हास्य जनक भूल कभी नहीं करते । अध्यापक धर्मानन्द के दो कपोतों के शरीरों को हमने दो कूष्माण्ड फल लिखा है । "भगवती सूत्र" के टीकाकारों ने भी १ - पादाभ्यां विकीर्य ये कीटधान्यादि भक्षयन्ति ते विकिरास्तेषां मध्ये कुक्कुटो न भक्ष्यः । उक्त पंक्ति आपस्तम्बीय धर्म सूत्र की है। इसी प्रकार गौतम धर्मसूत्र श्रादि में भी कुक्कुट को अभक्ष्य करार दिया है । २- मनुष्येरन्यैर्वा मार्जारादिभिरवघातमन्नमभोज्यम् । इदमपि प्रापस्तम्न्रीय धर्मसूत्रे एवमन्यत्रापि ।
SR No.022991
Book TitleManav Bhojya Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherKalyanvijay Shastra Sangraha Samiti
Publication Year1961
Total Pages556
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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