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१ - " से भिक्खू वा० जाब समाणे से जं पुग्ण जाणेज्जा मसाइयं वा मच्छाइयं वा मंसखलं वा मच्छ खलं वा श्रहेणं वा पहेणं वा हिंगोलं वा समेलं वा हीरमाणं वा पेहाए अंतरासे मग्गा बहुपाणा बहुबीया बहुहरिया बहु प्रोसा बहु उदया बहुउर्तिगपाग, दग मट्टिय मक्कडा संताणया बहवे तत्थ मम माइस अतिहि किवा वणी मगा उवागया उवागमिरसन्ति, तत्था इन्ना वित्ती पन्नस्स निक्तमय पवेसाए तो पन्नस्स वायण पुच्छण पटियाह धम्मालु योग . चिन्ताए से एवं नचा तहपगारं पुरे संखडिं वा पच्छा संखार्ड वा संखार्ड संखड़ि परियाये तो अभिसंधारिता रामणाए ।
से मिक्वू वा० से जं पुण जाणिज्जा मंशाइयं वा मच्छाइयं वा जाव हीरमाणं वा पेहाए अन्तरा से मग्गा अप्पाराणा जाब संतागगा नो जत्थ बहवे समण० जाव उबागमिस्संति अप्पाइना वित्तीपनस्स निक्खमण पवेसाए पन्नस्स वायण पुच्छ परियट्टा गुप्पेह धम्मागु श्रगचिन्ताए सेवं नच्चा तट्टप्पगारं पुरे संखडि वा अभिधारिजा गमगाए । सू० २२ ॥ चू० १ पिण्डे १ उ० ३ ॥
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अर्थ- वह भिक्षु या भिक्षुणी यह जाने कि अमुक स्थान मांसादिक (जिस भोज्य में मिठाई आदि गरिष्ट खाद्य पहले खाया जाता हो बह भोज्य) अथवा मांसादिक (जिस भोज में पकाये हुए तन्दुल चोदनादि पहले खाने को परोसा जाता हो वह भोज ) बडा भोज है, और अमुक मांसादि तथा मत्स्यादि तैयार करने के स्थान है । भले ही वह आहे (विवाह के अनन्तर वधू का प्रवेश होने पर बर के घर दिया जाने वाला ) भोज हो, पड़ेगा ( बधू के ले जाने