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________________ (2) पूटता विगतो : विमति/| भगवत् | धनवत् महिमन् | भाविन् | विश् । सदृश् । कर्मन् | सम्पद् વચન स२८ संस्कृतम् - ५ विशि •७०. भगवताम् धनवताम् सुहृदाम् | महिम्नाम् भाविनाम् विशाम् सदृशाम् कर्मणाम सम्पदाम् भगवति धनवति सुहृदि महिम्नि भाविनि सदृशि कर्मणि सम्पदि भगवन्तौ ! धनवती ! सुहृदौ ! महिमानौ ! भाविनी ! विशौ ! सदृशी ! कर्मणी ! सम्पदौ ! भगवन्तः धनवन्ति सुहृदः महिमानः भावीनि विशः सदंशि कर्माणि सम्पदः भगवतः धनवन्ति महिम्नः भावीनि विशः सदंशि | कर्माणि सम्पदः भगवता धनवता सुहृदा महिम्ना भाविना विशा सदृशा । कर्मणा सम्पदा भगवद्भ्याम् | धनवद्भ्याम् | सुहृद्भ्याम् | महिमभ्याम् भाविभ्याम् | विड्भ्याम् सदृग्भ्याम् कर्मभ्याम सम्पद्भ्याम् भगवद्भ्यः | धनवद्भ्यः सुहृद्भ्यः | महिमभ्यः भाविभ्यः विड्भ्यः सदृग्भ्यः कर्मभ्यः सम्पद्भ्यः भगवतः धनवतः महिम्नः भाविनः सदृशः कर्मणः सम्पदः भगवन्तः ! | धनवन्ति ! सुहृदः ! महिमानः ! भावीनि ! विशः ! सदंशि ! कर्माणि ! सम्पदः ! भगवतोः धनवतोः सुहृदोः महिम्नः भाविनोः विशोः सदृशोः कर्मणोः सम्पदोः भगवन्तौ धनवती | महिमानौ भाविनी विशौ सदृशी कर्मणी | सम्पदौ भगवन्तम् | धनवत् सुहृदम् | महिमानम् भावि विशम् सदृक् कर्म सम्पदम् भगवद्भ्याम् | धनवद्भ्याम् | सुहृद्भ्याम् | महिमभ्याम् | भाविभ्याम् | विड्भ्याम् | सदृग्भ्याम् | | कर्मभ्याम् | सम्पद्भ्याम् विशः सुहृदौ 16-१/२08
SR No.022985
Book TitleSaral Sanskritam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
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