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________________ (७४) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ तथा चौद पूर्वना पाठकता रूप तेमना असाधारण पचीश गुणोनुं ध्यान तथा जाप विगेरे करी आत्माने तन्मय बनाववा आ दिवसनी आराधना छे.जो के श्री उपाध्यायजी भगवान्ना पचीश गुणोनी अनेक पचीशीओ शास्त्रमा वर्णवेली छे तो पण मुख्य उपरोक्त पचीशीनुं अथवा अन्यत्र आराधनामां ११ अगीयार अंग १२ बार उपांग, १ चरणसित्तरी, १ करणसित्तरी [अथवा १ द्वादशांगी सूत्रपाठकता अने १ द्वादशांग्यर्थपाठकता,) रूप पचीशीनी आराधना कराय छे. श्री उपाध्याय पदना २५ गुणो.. इक्कारस अंगाई, चउदस पुवाइं जो अहिज्जेइ । अज्झावेइ परेसिं, पणवीसगुणो उवज्झाओ ॥१॥ अंग अग्यार भणे तथा, चउद पूर्व वळी जेह । परने भणावे प्रेमथी, उपाध्याय गुण एह ॥१॥
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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