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श्री उपाध्यायपदाराधन
चतुर्थ दिवसनं कर्त्तव्य.
श्री उपाध्याय माहात्म्य तथा तेमना गुणोनो विचार.
शास्त्रप्रतिपादित यथार्थ विधिसहित सकल शास्त्राध्ययन पूर्वक शुद्ध चारित्राराधनमां लीन रही केवल उपकारक दृष्टिथी साधुसमुदायने अनेक प्रकारे संयम सेवनामां, मुक्तिमार्गमां साहाय्यता आपी पत्थर समान जडबुद्धि शिष्योने पण शास्त्रप्रवीण बनावे, उत्तम आचारमां सुविनीत नीपजावे, तेवा आचार्य पदनी योग्यतावान् सकल श्री संघना साहाय्यक श्री उपाध्याय भगवंतना अनेक गुणो पैकी अगीयार अंग