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________________ श्री उपाध्यायपदना नमस्कारपूर्वक खमासमणना दुहा ॥ ( ७५) श्री उपाध्यायपद नमस्कारपूर्वक तन्मयतासूचक खमासणना दूहा. बोध सूक्ष्म विणु जीवने, न होय तत्त्व प्रतीत । भणे भणावे सूत्रने, जयजय पाठक गीत ॥१॥ तप सज्झाये रत सदा, द्वादश अंगनो ध्यातारे । उपाध्याय ते आतमा जगबंधव जगभ्राता रे ॥१॥ वीर० ॥ श्री उपाध्याय भगवंतना २५ गुण गर्भित नमस्कार पदो. १ श्री आचारांग सूत्रपठनपाठन तत्परतागुणविभूषितेभ्यः श्रीउपाध्यायेभ्यो नमः ॥ २ श्रीसूत्रकृतांग सूत्रपठनपाठनतत्परतागुणविभूषिते - भ्यः श्रीउपाध्यायेभ्यो नमः ॥ ३ श्रीस्थानांग सूत्रपठनपाठन तत्परतागुणविभूषितेभ्यः श्रीउपाध्यायेन्यो नमः ॥ ४ श्रीसमवायांगसूत्र पठनपाठन तत्परतागुणविभूषिते - भ्यः श्रीउपाध्यायेभ्यो नमः
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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