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नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ संबंधी तमाम चिन्तानो त्याग करी हुं प्रवेश करूं हूं. त्यारबाद दहेरासर संबंधी संभाळवानुं कार्य (आशातना विगेरे दूर कर इत्यादि) संभाळी बीजी नीसीही कही ते संबंधी चिन्तानो हवे आगळ गभारा पांसे आवता त्याग कयों अने चैत्यवन्दन करवा बेसता भावस्तमां आत्माने लीन करवा त्रीजी नीसीही बोलवी. प्रभुमंदिरमां प्रवेश करतां प्रभुदृष्टिमां आवे के तुरत मस्तकं नमाव, अंजलि जोडवी, प्रणाम करवो. त्रण प्रदक्षिणाओ देवी, प्रदक्षिणा देता समवसरणमां प्रभुना जेम चार दिशाए दर्शन थाय छे तेम चार तरफ प्रभुना दर्शन करवा अगर तेनी भावना करवी.
पुरुषे हमेशां प्रभुना जमणा अंग तरफ अवग्रह साचवी उभा रहेवुं अगर बेसवुं, अने स्त्रीओए डाबी बाजुए अवग्रह साचवी रहेतुं त्यां धूपपूजा चामर ढाळवा विगेरे यथोचित कर, प्रभुनी सन्मुख दिशा शिवाय बीजी कोइ दिशा तरफ दृष्टि नांखवी नही, शरीरने खणवूं विगेरे कोइपण आशातनानुं स्थान