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________________ नव चैत्यवंदन विधि ॥ wazawaz- w wwwwww ॥ नव चैत्यवन्दन विधि.॥ ऋद्धिमंत भाग्यवान् जीवे दरेक मन्दिरे तेना उपयोगी पूजोपकरण कलश. धूपधाणुं, पूजानीवाटकी, फूलछाबडी, केसर, सुखड, वाळाकुंची, बरास, वरख विगेरे तमाम यथासंपत्तिए लइ जवा तथा फल फूल नैवेद्यसोनानाj,रूपानाणुं विगेरे यथाशक्ति लइ महोत्सव सहित दीन, अनाथादिने दानादि आपता दहेरासरे जइ विधि साचवता नीसीही त्रिकादि पूर्वक चैत्यवंदन करवू. सर्व मन्दिरे ते प्रमाणे शक्ति न होय तो मुख्य एक मन्दिरे पूजोपकरणादि मुकवा अथवा यथाशक्ति स्वस्तिकादि करवा, देहेरासरमा प्रवेश करतां पांच अभिगम साचववा, एक वस्त्रनुं उत्तरासंग [ छेडा आंतरी वाळो खेस] अवश्य करवू, (हालमां उत्तरासंग खेस] नी प्रवृत्ति बहुज ओछी जोवामां आवे छे पण तेमां विधिनी न्यूनता थाय छे ते खास लक्ष्यमां राखq.) प्रथम नीसीही कहेवी 'निसीही कार्यना निषेधथीथयेल (नेषेधिकी) एटले प्रथम घरव्यापार कुटुंबादि
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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