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(४२) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ अरिहंतपयाराहणत्थं करेमि काउस्सग्गं वंदणवत्ति० अन्नत्थ० बार लोगस्स 'चंदेसु निम्मलयरा' सुधी काउसग्ग करवो. यथाशक्ति उभा उभा काउसग्ग करवा उपयोग राखवो अने तेमां 'जिनमुद्राए' उभा रहे, एटले बेउ पगना आगळना पंजाना भागमां [चार आगळy ] अंतर राखq. अने पाछल हानीना भागमा 'किंचिन्न्यून चार आंगळy' अंतर राखवू. डाबा हाथमां चरवळो अने जमणा हाथमां मुहपत्ती राखवी, काउसग्ग माटे तेना आगारो तथा दोषो तरफ खास उपयोग राखवो, काउसग्गमा आगार शिवाय अंग बीलकुल चलावq नहि, केटलाक संख्या ग़णवा माटे आंगलीना वेढा गणवा, होठ फफडाववा विगेरे करे छे, परन्तु तेम करवाथी दोष लागे छे वास्तविक रीतिए अंदर जीभ पण हालवी जोईये नही. दांते दांतनो स्पर्श करवो नही, इत्यादि खास उपयोग राखवानी आवश्यकता छे. काउसग्ग पारी प्रकट लोगस्स कही खमा दइ अविधिआशातना मिच्छा मि दुक्कडं कहे.