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॥ थोयो ।
(३२३) राशिजी । परमातम पद पूरण विलासी, अघधन दाघ विनाशीजी ॥ अनंत चतुष्टय शिवपद ध्यावो, केवलज्ञानी भाषीजी ॥ इति सिद्धपदस्तुतिः ॥२॥
॥ अथ श्रीआचार्यपद स्तुति ॥ पंचाचार पाले उजवाले,दोष रहित गुणधारीजी। गुण छत्तीसे आगमधारी, द्वादश अंग विचारीजी। प्रबल सबल धनमोह हरणकुं, अनिल समो गुण वाणीजी । क्षमा सहित जे संयम पाले, आचारज गुणध्यानीजी ॥ इति आचार्यपदस्तुतिः ॥३॥
॥ अथ श्रीउपाध्यायपद स्तुति ॥ अंग इग्यारे चउदे पूरव, गुण पचवीसना धारीजी। सूत्र अरथधर पाठक कहीए, जोग समाधि विचारीजी ॥ तप गुणशूरा आगम पूरा, नय निक्षेपे तारीजी । मुनि गुणधारी बुध विस्तारी, पाठक पूजो अविकारीजी ॥ इति उपाध्यायपदस्तुतिः॥४॥
॥ अथ श्रीसाधुपद स्तुति ॥ सुमति गुपति कर संजम पाले, दोष बयाली