________________
( १९२) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ कराती शुभ क्रियाओज मुक्तिनुं कारण थाय छे, जेम औषधि अनुपान साथे तथा पथ्यसेवनथी विशेष लाभ आपे छे तेम उजमणुं करवाथी तप पण विशेष फलदायक थाय छे,
___ असार अने चपल लक्ष्मी अनेक भवमां अरे एक भवमां पण अनेक वखत आवी अने गइ, मोहित प्राणिओने दुर्गतिओमां खेंची गइ अने खेंची जशे,
आ लक्ष्मीनो ल्हावो लेवानो तेनाथी सद्गति उपाजवानो अपूर्व अवसर आव्यो मळ्यो जाणी पूर्ण उदारभावथी यथार्थ विधिसहित उजमणुं करवू, श्रीमद् उपाध्यायजी वर्णवे छे के- . “धन म्होटे छोटुं करे,धर्म उजमणुं तेह, मेरे लाल ॥ फल पूलं पामे नहि,मम करजो तिहां संदेह, मेरेलाल॥ मननो मोटो मोजमां ॥ १॥"
उजमणुं करतां विस्तीर्ण मंडपमांश्री सिद्धचक्रमंडल (यंत्रनी) त्रण पीठिका विगेरे करवा पूर्वक स्थापना करी महोत्सव करवो, श्रीसिद्धचक्र यंत्रनी गोठवण