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________________ ॥ श्री सिद्धचक्र तप उद्यापन विधि॥ भक्तिमान् भव्य श्रावके पोतानी शक्तिवैभवने अनुसारे उजमणुं करवाथी तपनी सफलता, लक्ष्मीनो सद्व्यय, शुभ ध्याननी वृद्धि, सुलभबोधि भव्यजीवोने सम्यक्त्वनी प्राप्ति, श्री तीर्थंकरदेवनी अपूर्व भक्ति, श्री जिनशासननी प्रभावना-शोभाउन्नति अने तेनाथी सम्यक्त्वनी उत्तरोत्तर वृद्धि -दृढता, क्षायिक सम्यक्त्व, तीर्थंकर नाम कर्मबन्ध विगेरे अनेक महान् लाभो थाय छे, तप पूर्ण थये उजमणुं करवं ते जिनेश्वर चैत्यनी उपर कलश च्हडाववा तुल्य छे, ॥ उजमगुं करतां राखत्री जोती सावधानता ॥ तपर्नु उजमणुं करतां अपूर्व आत्मवीर्यनो उल्लास राखवो, वीर्यउहास विनानी दरेक क्रियाओ यथार्थ फलदायक थती नथी, वीर्यउल्लास साथे
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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