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________________ aava विधि विगेरे संग्रह ॥ ( १५४ ) ♡ ँ " औ ही श्री विमलेश्वरचक्रेश्वरीपूजिताय श्री सिद्धचक्राय नमो नमः" ए पदनी वीश नवकारवाली गणवी, गुरुवदन करी ओछामां ओलं बेसणानुं पच्चखाण कर, नवी ओळीनी आराधना प्राप्त थाय त्यां सुधीने माटे यथाशक्ति अभिग्रहादि लेवा, प्रभुदेवनी श्री सिद्धचक्रमहाराजनी विस्तारथी पूजा करी पछी पच्चक्खाण पावुं. अष्टान्हिकामहोत्सव पूर्ण थयेल होवाथी मुख्यविधिए “ यात्रोत्सवो हि संपूर्णो भवति रथयात्रया ए शास्त्रवचनथी रथयात्रामहोत्सव बनती शक्तिए अवश्य करवो जोइए. ते रथयात्रामहोत्सवमां श्री आर्यसुहस्ति भगवानना समये अवन्ती [ उज्जयिनी ] ना श्रावकोनी, श्रीहेमचंद्रसूरि महाराजना समये परमात महाराज कुमारपालनी रथयात्रानो विधि अवश्य विचारवो, आ रथयात्रामहोत्सव पण श्रावकना वार्षिक कृत्यो पैकीनुं एक छे तेमज आज महान् उत्सव दिवस होवाथी साधर्मिक वात्सल्य कर.
SR No.022958
Book TitleNavpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayodaysuri
PublisherManeklalbhai Mansukhbhai
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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