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सिद्धचक्र नमस्कार तथा खमासमणना दुहाओ ॥ (१५३) श्री सिद्धचक्र माहात्म्यगर्भित तेनो नमस्कार तथा
तन्मयतासूचक खमासमणना दूहाओ. दशमा पूर्वथी उद्धर्यो, सिद्धचक्र शुभयंत्र । एहनी तुलनामा नहि, मंत्र तंत्र कोइ यंत्र ॥१॥ परमतत्त्व जिनधर्ममां, शासननुं सर्वस्व ।। मुक्तिपददायक भविक, नमो नमो चित्त एकत्व ॥२॥ योग असंख्य छे जिन कह्या, नवपद मुख्य ते जाणोरे । एह तणे अवलंबने, आत्मध्यान प्रमाणो ॥३॥ रे वीर०॥
आप्रमाणे दूहाओबोली प्रदक्षिणा दइ स्वस्तिक करी द्रव्यफल नैवेद्यादि मूकी एक एक खमासमण देवं.
॥ नमस्कार पद ॥ . "श्रीविमलेश्वर चक्रेश्वरीपूजिताय जिनशासनपरमतत्त्वाय श्री सिद्धचक्राय नमो नमः,” एज प्रमाणे नव खमासमण देवां, पद तेनुं तेज बोलवू. ___ ईर्यावही करी काउसग्ग श्री विमलेश्वरचक्रेश्वरी पूजितश्रीसिद्धचक्राराधनार्थ काउसग्गं करेमि, इच्छं, श्री वि० करोमि काउ० अन्नत्थ० नवलोगस्स० प्रकट लोगस्स खमा० अविधि आशातना मिच्छामि दु०.