________________
મહાન શાસન સેવા
૧૪૫ जैनशासन जिकै डोलतौ राखियौ,
साखियौ जगत सगलै कहायौ ॥ १ ॥ एक दिन पातिशाह आगरे कोपियौ,
दशनी एक आचार चुक्यो । शहरथी दूरि काढौ सबै सेवडा,
मेवडा हाथ फुरमाण मूक्यो ॥ १ ॥ आगरे शहेर नागौर अरु मेडतै,
माहिम लाहोर गुजराति माहै । देश दन्दोल सबलौ पड्यौ तिहां कणे,
तुरत ना पंथिया तुबक वाहै ॥ ३ ॥ दर्शनी केई पर द्वोपमें चढि गया,
केइ नासो गया कच्छ देशे । केई लाहोर केइ रह्या भूहिमां.
दर्शनी केई पाताल पैसे ॥ ४ ॥ तिण समय युगप्रधान जगि राजियौ,
थीजिनचन्द्र तेजै सवायौ । पुष्य अणगार पाटण थकी पांगुर्या,
__ आगरे पातिश्या पास आयौ ॥ ५ ॥६ तुरत गुरुरायनै पातशाह तेडिया.
देखि दीदार अतिमान दीधा । अजबकी छाप फुरमाग करि आखिया,
के डला गुनहु सहु माफ कीधा ॥ ६ ॥ जैनशासन तणी टेक राखी खरी,
ताहरै आज कोइ न तोल ।। खरतर गच्छनै शेाभ चाढो करी,
'समयसुन्दर' बिरुद सांच बोलै ॥ ७ ॥