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करने, उनके पैरों में डण्डा बेड़ियाँ डालने और रात में कई कैदियों को एक साथ एक जंजीर में बाँध कर प्रताड़ित किये जाने जैसे व्यवहार का सामना किया ।
मुजफ्फरनगर, मेरठ, आगरा, सहारनपुर, बिजनौर, कानपुर जिलों में जैन समाज ने असहयोग आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भागीदारी की। इन जिलों के अतिरिक्त बुलन्दशहर, मथुरा, एटा, मैनपुरी, मुरादाबाद, इटावा झाँसी, इलाहाबाद, लखनऊ में जैन समाज के लोगों ने बढ़-चढ़कर इस आन्दोलन में भाग लिया ।
अलीगढ़ के जैनेन्द्रकुमार के परिवार ने इस आन्दोलन में बाहरी प्रदेशों में जाकर भी देशभक्ति की मिसाल कायम की तथा जेलों की यात्राएं की। जैनेन्द्र कुमार की माता रामदेवी बाई जैन ने दिल्ली के पहाड़ी धीरज में एक जैन महिलाश्रम की स्थापना की। जिस में अध्ययन करने वाली लड़कियों को देशभक्ति की प्रेरणा दी जाती थी । आश्रम की छात्रायें किसी न किसी रूप में कांग्रेस की सेवा में लगी रहती थी। इस आन्दोलन के दौरान महिलाश्रम की तीन लड़कियों को पुलिस की मार खानी पड़ी तथा एक लड़की जो बाल विधवा थी, 6 महीने जेल में रही । जेल जाने के समय उसकी उम्र 18-19 वर्ष थी ।
बनारस में जैन समाज द्वारा स्थापित 'स्याद्वाद जैन महाविद्यालय' ने असहयोग आन्दोलन में अपनी भागीदारी की । यहाँ के छात्रों ने विदेशी कपड़ों की होली जलायी तथा सरकारी परीक्षाओं का बहिष्कार करने में अपना सहयोग दिया । अहिंसा और सत्याग्रह के आदर्शों से प्रेरित जैन छात्रों ने महाविद्यालय में स्वदेशी चीजों के अतिरिक्त अन्य वस्तुओं के प्रयोग पर पूर्णतः पाबंदी लगा दी । लखनऊ के अजितप्रसाद जैन (एडवोकेट), ब्रह्मचारी सीतल प्रसाद, अतरौली के महात्मा भगवानदीन, आगरा के सेठ अचलसिंह जैन आदि राजस्थान के प्रसिद्ध क्रांतिकारी अर्जुन लाल सेठी (जैन) से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे। सेठी जी ने असहयोग आन्दोलन के दौरान 10 दिन तक आगरा में रहकर जनपदवासियों से विदेशी वस्त्रों को जलाने का आह्वान किया, जिसका व्यापक प्रभाव पड़ा । तत्कालीन पत्र 'आज' ने इन समाचारों
प्रमुख रूप से प्रकाशित किया। श्री सेठी की गिरफ्तारी के विरोध में भी उत्तर प्रदेश जैन समाज ने अपनी अहम् भूमिका निभाई ।
महात्मा गाँधी ने 12 मार्च, 1930 को अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से प्रस्थान करके 200 मील की पदयात्रा करते हुए 6 अप्रैल 1930 को दाण्डी के समुद्र तट पर पहुँचकर नमक कानून को भंग किया। नमक कानून के भंग होते ही पूरे देश में सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ हो गया । इस आन्दोलन के तहत पूरे देश में नमक बनाया गया । सत्याग्रही कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह 'सत्याग्रह आश्रमों' की स्थापना की ।
उत्तर प्रदेश के जैन समाज ने आन्दोलन का प्रारम्भ होते ही इसमें अपनी
212 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान