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________________ लिपिपरई निवासी खूबचंद जैन 'पुष्प' ने अपनी ओजस्वी वाणी में जनता को राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत कवितायें सुनाकर देश प्रेम की ओर आकृष्ठ किया। श्री जैन ने दफा 144 का भी उल्लंघन किया। इस कारण सरकार ने उन्हें 1 वर्ष तक कठिन कैद में रखा और 500 रुपये जुर्माना भी लगा दिया। केशरबाई जैन ने व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण 1 माह कैद की सजा पायी थी। भारत छोड़ो आन्दोलन में वे जेल यात्रा तो नहीं कर पायी, परन्तु उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से देश सेवा में हाथ बंटाया। ललितपुर निवासी पंडित परमेष्ठीदास जैन एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कमलादेवी जैन जो 1929 में सूरत चले गये थे। इस आन्दोलन में सक्रिय रहे। परमेष्ठीदास जैन ने 'जैन मित्र' के सम्पादक के रूप में अनेकों लेख लिखकर जनता को इस आन्दोलन में भाग लेने को प्रेरित किया। सूरत में श्री जैन को हिन्द संरक्षण धारा 26 के अंतर्गत फरवरी 1943 में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें पहले सूरत जेल में रखा गया और उसके बाद साबरमती जेल में स्थानान्तरित कर दिया गया। श्री जैन जेल में 4 माह तक रहे।95 उनकी धर्मपत्नी कमलादेवी ने सभाबन्दी कानून को भंग करके गाँधी चौक सूरत में अंग्रेजी सरकार के __पं. परमेष्ठीदास जैन खिलाफ जोशीला भाषण दिया। जिसके कारण उन्हें भी गिरफ्तार करके 5 महीने जेल में रखा गया। उनका 3 वर्ष का बच्चा जैनेन्द्र भी जेल में उनके साथ रहा। संयोगवश परमेष्ठीदास जैन व उनकी पत्नी अहमदाबाद के साबरमती जेल में एक साथ रखे गये। जेल में उन्होंने राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार का कार्य प्रारम्भ कर दिया। जैन दम्पत्ति ने करीब 500 साथियों को जो प्रायः गुजराती थे, हिन्दी भाषा का ज्ञान कराया। उन्होंने 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा' के अंतर्गत उनकी परीक्षाएँ भी करायी। उनके विद्यार्थियों में गणेशवासुदेव मावलंकर का नाम प्रमुख है। श्री मावलंकर आजादी के बाद भारतीय लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष बने।98 परमेष्ठीदास जैन ने जेल से लौटने के बाद पुनः देश सेवा का कार्य प्रारम्भ कर दिया। आजादी के बाद श्री जैन ललितपुर लौट आये। कि स्थानीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष वैद्य मथुराप्रसाद जैन ने 'अगस्त क्रांति' में सक्रिय भाग लिया, जिसके कारण उन्हें 10 महीने तक झांसी जेल में नजरबंद रखा गया। श्री जैन की प्रेरणा से अनेकों नागरिकों ने देश सेवा में भाग लिया। हुकुमचंद 140 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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