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________________ डिप्टी कलक्टर आवास के आगे से निकलकर जैसे ही मेहता क्लब की ओर मुड़ रहा था, तभी शहर कोतवाल सहित भारी पुलिस बल वहाँ पहुँचा। पुलिस ने प्रेमचन्द जैन के हाथों में से तिरंगा झण्डा छीनने के लिए उनके हाथ पर डंडे से वार किया। जैसे ही सिपाही झंडे को लेने के लिए आगे आया, वैसे ही भारतचंद जैन ने झंडे को लपक लिया। छात्रों ने निडरतापूर्वक पुलिस से संघर्ष किया, परन्तु शहर कोतवाल के द्वारा शीघ्र ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। प्रेमचन्द जैन, भारतचन्द जैन के अतिरिक्त अकलंकप्रसाद जैन, धनप्रकाश जैन ने भी पुलिस से संघर्ष किया। प्रेमचन्द जैन ने 24 अक्टूबर 1942 को 3 माह कड़ी कैद और 100 रुपये जुर्माने की सजा पायी। आन्दोलन में भाग लेने के कारण उनकी पढ़ाई भी छूट गयी। आजादी के बाद उन्होंने फिर अध्ययन प्रारम्भ किया और एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की। लेखक ने उनके निवास पर जाकर उनके प्रमाण पत्र एवं ताम्र पत्र को देखा। 15 अगस्त 1972 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये इस ताम्रपत्र पर उल्लेख किया गया है-'प्रेमचंद जैन पुत्र सम्मनलाल जैन मुजफ्फरनगर को पच्चीसवीं स्वतंत्रता जयंती पर स्वतंत्रता संग्राम में गौरवपूर्ण योगदान के लिए उत्तर प्रदेश शासन कृतज्ञतापूर्वक यह ताम्रपत्र भेंट करता है।13 ही प्रेमचन्द जैन की भाँति भारतचंद जैन ने भी इस आन्दोलन में जेल यात्रा की। सूचना विभाग के अनुसार उन्हें 3 माह की कड़ी कैद की सजा दी गयी। अकलंक प्रसाद जैन को 23 अक्टूबर 1942 को 3 माह कड़ी कैद की सजा सुनाकर जेल भेजा गया। धनप्रकाश जैन ने भी 3 माह कैद और 100 रुपये जुर्माने की सजा पायी। खतौली निवासी गंगासहाय जैन ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण 9 अगस्त 1942 को 11 महीने जेल की सजा पायी। इससे पूर्व व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण श्री जैन 28 अप्रैल, 1941 को धारा 38 डी.आई.आर. के अंतर्गत 1 वर्ष कड़ी कैद और 35 रुपये जुर्माने की सजा पा चुके थे। उन्हें शाहजहांपुर जेल में रखा गया था। ने शाहपुर (जिलामुजफ्फरनगर) निवासी आनन्दप्रकाश जैन ने इस आन्दोलन में HA सक्रिय भाग लेने के कारण सन् 1943 में श्री त्रिलोकचंद जैन से साक्षात्कार लेते हुए लेखक कार लेते हुए लेखकाला 124 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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