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या मरो।' उन्होंने कहा कि अब हमें संकल्प करना है कि अब हम गुलामी में जिन्दा नहीं रहेंगे। हम या तो अब भारत को आजाद करेंगे या उसका प्रयत्न करते हुए अपने प्राण त्याग देंगे। यह आन्दोलन खुली बगावत है। सभी देशवासियों को प्रकट रूप से अंग्रेजी शासन का विरोध करना है।
अंग्रेजी सरकार ने कांग्रेस के इस निर्णय को भांपते ही आनन-फानन में 9 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी सहित सभी शीर्षस्थ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया और उन सभी को अज्ञात स्थलों में नजरबंद कर दिया गया। पिछले आन्दोलनों में भाग लेने वाले अधिकांश कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तथा सभी कांग्रेस संगठनों को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया। देश में यह खबर फैलते ही जनता में रोष उमड़ पड़ा। जगह-जगह नागरिकों ने सरकारी सम्पत्ति को नष्ट करना प्रारम्भ कर दिया। छात्र कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से निकल आये और विद्रोहात्मक गतिविधियों में शामिल हो गये। पुराने कार्यकर्ताओं के साथ ही बड़ी संख्या में नए कार्यकर्ताओं ने 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया।
उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रान्त) के जैन समाज ने भी इस आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भाग लिया। मुजफ्फरनगर जिले में 9 अगस्त, 1942 की प्रातःकाल से ही गोरों का विरोध प्रारम्भ हो गया। देशप्रेमी नागरिकों ने सरकारी सम्पत्ति को नष्ट करने की योजना बनाई, इसी बीच भगत सिंह रोड स्थित कांग्रेस कार्यालय पर पुलिस ने छापा मारकर सारा सामान जब्त कर लिया तथा मौके पर उपस्थित कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। जिले के प्रमुख कांग्रेसी नेता सुमतप्रसाद जैन को 9 अगस्त की सुबह ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उ.प्र. सरकार के सूचना विभाग के अनुसार श्री जैन को 15 मास के लिए नजरबंद किया गया। श्री जैन 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के कारण भी 9 माह जेल में रहे थे।
जैन समाज मुजफ्फरनगर के प्रमुख कार्यकर्ता उग्रसैन जैन सर्राफ, उलफतराय जैन, चुन्नालाल जैन (चरथावल), दीपचंद जैन (वकील, कैराना) भी 9 तारीख को ही गिरफ्तार कर लिये गये। सूचना विभाग उ.प्र. के अनुसार उग्रसैन जैन 1942 के आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण लगभग 15 माह नजरबंद रहे। श्री जैन ने 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में भी भाग लिया, जिसके कारण वे 1 वर्ष तक जेल में रहे। उलफतराय जैन के विषय में उल्लेख मिलता है कि श्री जैन 1942 के आन्दोलन में 15 माह नजरबंद रहे। उन्होंने 1940 के आंदोलन में भी 6 माह की कड़ी कैद की सजा पायी।
चरथावल निवासी चुन्नालाल जैन ने अपने क्षेत्र में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध जमकर काम किया। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में श्री जैन ने 6 माह कैद और
122 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान