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________________ महात्मा गांधी का अहिंसा में योगदान गांधी के मन-वचन-कर्म से जुड़कर अहिंसा सिद्धांत नूतन प्राण प्रतिष्ठा को प्राप्त हुआ। उनसे पूर्व अहिंसा से व्यक्ति अथवा समुदाय लाभान्वित होते रहें, उस क्रम में परिवर्तन घटित हुआ। गांधी ने अहिंसा को विश्व व्यापी बनाने का श्रेय पाया। प्रश्न है गांधी ने अहिंसा को किस रूप में प्रसिद्ध किया? अहिंसा के पुजारी बनकर? अहिंसा के प्रायोजक बनकर? अहिंसा के उपदेष्टा बनकर ? अहिंसा के साधक बनकर? किसी एक प्रश्न के उत्तर में गांधी की अहिंसा को झांकना असंभव है। इन सभी का सकारात्मक समाचरण ही गांधी अहिंसा का प्रारूप हो सकता है। उन्होंने अहिंसा की अदम्य शक्ति से वह कर दिखाया जो असंभव माना जाता था। अहिंसा को व्यक्तिगत मुक्ति का कारण संत-महंतमहापुरुष मानते और आचरते आये हैं। पर, किसी राष्ट्र को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करने हेतु अहिंसा का प्रयोग इतिहास का अपूर्व स्वर्णिम दस्तावेज़ है। ‘अपनी मुक्ति अपने ही हाथों में है' यह बोधपाठ गांधी ने कमजोर-से कमजोर मुल्क को भी अहिंसा के जरिये भारतीय उदाहरण से पढ़ाया। गांधी न कोई संसदीय दार्शनिक थे और न ही तर्क शास्त्री। अध्ययन और मनन के आधार पर कहा जा सकता है वास्तव में वे एक कर्मयोगी थे और अपनी अनुभूतियों को सीधे-सरल भाषा में प्रकट करने के आदी थे। शास्त्रीय दृष्टि से अहिंसा की परिभाषा की उम्मीद उनसे नहीं की जा सकती। शास्त्रीय दृष्टि से किसी भी परिभाषा में उस पद की संपूर्ण गुणवाचकता का वर्णन होता है। चूंकि संपूर्ण गणवाचकता का समावेश एक दृष्कर कार्य है जो तर्कशास्त्री ही कर सकते हैं। अतः गांधी द्वारा अहिंसा संबंधी जो भी विचार-व्यवहार प्रकट हुआ वही उनका अहिंसा दर्शन वनता गया। अहिंसा का अर्थ गांधी की दृष्टि में अहिंसा का अर्थ बहुत व्यापक है। अंग्रेजी का 'नान वायलेंस' शब्द उसके लिए विल्कुल अपर्याप्त है। अहिंसा शब्द जिन सब अर्थों में प्रयुक्त होता है, उसको सूचित करने के लिए वह अधूरा है। इससे अधिक उपयुक्त शब्द तो शायद प्रेम अथवा सद्भाव होगा, क्योंकि हिंसा का मुकाबला तो सद्भाव से ही करना पड़ेगा। स्पष्ट रूप से गांधी की अहिंसा अवधारणा प्रचलित मान्यताओं के साथ कुछ और जोड़कर आगे बढ़ी। उन्होंने अपने विचारों की अहिंसा का चित्रण किया-'अहिंसा प्रत्येक प्राणी के विरुद्ध द्वेष का अभाव है। यह प्रगतिशील दशा है। इसका अर्थ चेतन रूप से कष्ट भोगना है। अहिंसा अपने सक्रिय रूप में जीवन के प्रति सद्भावना है। यह शुद्ध प्रेम है। प्रेम के महात्मा गांधी का अहिंसा में योगदान / 79
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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