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________________ केन्द्र बिन्दु समान है। सृष्टि के संतुलन का प्रश्न आज विज्ञान वार्ता का अहम् मुद्दा है। आज का प्रबुद्ध मानस इस विषय में चिंतित है कि पर्यावरणीय संतुलन कैसे साधा जाये? संतुलन का अर्थ है-अहिंसा। अहिंसा का अर्थ है-संतुलन। अध्यात्म जगत् में संतुलन पर महत्त्वपूर्ण खोजें हो चुकी हैं। विज्ञान ने अब इस पर खोजें प्रारंभ की है। वैज्ञानिकों ने इस बात पर ध्यान दिया कि प्रकृति का यदि कोई भी अंश अस्त-व्यस्त रहता है तो प्रकृति का सारा चक्र ही अस्तव्यस्त हो जाता है। क्योंकि प्रकृति का प्रत्येक अंश प्रत्येक अवयव उसका महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। कहीं कोई एक इकाई टूटती है तो समूचा सृष्टि संतुलन ही बिगड़ सकता है। ‘इकोलॉजी ने एक नया आयाम खोल दिया। यह बात मान्य हो गई कि प्रकृति का छोटा-मोटा प्रत्येक अवयव उपयोगी है, अनिवार्य है। 136 प्रकृति का प्रत्येक घटक एक-दूसरे को प्रभावित करता है। यह आधुनिक विज्ञान का मन्तव्य है। अध्यात्म के चिंतकों ने बहुत पहले ही कह दिया था कि प्रत्येक तत्त्व एक दूसरे से प्रभावित होते हैं। एक की हिंसा दूसरे को कैसे प्रभावित करती है इसकी विस्तृत चर्चा आचारांग सूत्र में की गई है। पृथ्वीकाय की अहिंसा के बारे में भगवान् महावीर ने कहा- मेधावी पुरुष हिंसा के परिणाम को जानकर स्वयं पृथ्वी शस्त्र का समारंभ न करे, दूसरों से उसका समारंभ न करवायें, उसका समारंभ करने वालों का अनुमोदन न करें।........नाना प्रकार के शस्त्रों से पृथ्वी संबंधी क्रियाओं में व्यापृत होकर पृथ्वीकायिक जीवों की हिंसा करने वाला व्यक्ति (न केवल उन पृथ्वीकायिक जीवों की ही हिंसा करता है, अपितु) नाना प्रकार के अन्य जीवों की भी हिंसा करता है। 137 आज अहिंसा का अर्थ, केवल पारलौकिक ही नहीं रह गया है अपितु विज्ञान की कसौटी पर भी सत्यापित हो रहा है। भगवान् महावीर ने अहिंसा को अनेक पहलुओं से देखा और प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा था • एस खलु गंथे-हिंसा ग्रन्थि है। • एस खलु मोहे-यह मोह है। . एस खलु मारे-यह मृत्यु है। . एस खलु णारए-यह नर्क है। . तं से अहियाए-हिंसा मनुष्य के लिए हितकर नहीं है। • तं से अबोहीए-वह बोधि का विनाश करने वाली है। इस स्वर का उदात्तीकरण ही पर्यावरण प्रदूषण में उलझे समाज में एक नया प्रकंपन पैदा कर सकेगा। 38 गांधी भले ही पर्यावरण-विज्ञ नहीं थे पर एतद् संबंधी ज्ञान उनका बड़ा सूक्ष्म एवं आत्मानुभूति से जुड़ा हुआ था। उन्होंने लिखा-एक पौधे को उखाड़ना भी बुरा है और किसी खूबसूरत गुलाब के फूल को तोड़ते हुए किसे वेदना नहीं होती? किसी घास-पात को तोड़ते समय हमें वेदना नहीं होती। इससे यही सूचित होता है कि हमें पता नहीं है कि प्रकृति में घास-पात का क्या स्थान है। अतएव किसी भी प्रकार की हानि पहुँचाना अहिंसा सिद्धांत का उल्लंघन करना है। 39 जाहिर है कि गांधी ने पर्यावरण को अहिंसा की तुला पर तोलकर ही अपनाया था। उनका पदार्थ संयम इस बात का द्योतक है। अहिंसा का सिद्धांत आत्मशुद्धि का है, साथ ही वह पर्यावरण शुद्धि का भी है। पदार्थ सीमित है, उपभोक्ता अधिक है और इच्छा असीम है। अहिंसा का सिद्धांत है-इच्छा का संयम करना, उसकी अहिंसा एक : संदर्भ अनेक / 69
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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